जमीयत के प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि मदरसों से जुड़े लोगों का देश की आजादी में भी अहम योगदान रहा है और आज भी मदरसे के लोग विभिन्न क्षेत्रों में देश की तरक्की के लिए अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे हैं’
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नई दिल्ली : प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मध्य प्रदेश सरकार की एक मंत्री की ओर से मदरसों के संदर्भ में की गई हालिया ‘नकारात्मक’ टिप्पणियों की आलोचना करते हुए शनिवार को कहा कि 'भारत के मदरसों में मानवता एवं राष्ट्रीय एकता की शिक्षा दी जाती है'.
भेदभाव का आरोप
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव में यह दावा भी किया गया है कि नयी शिक्षा नीति अल्पसंख्यकों के साथ धार्मिक रूप से भेदभाव करने वाली है. संगठन से जारी बयान के मुताबिक, कार्यकारिणी में नई शिक्षा नीति, मदरसों के खिलाफ प्रचार, और आधुनिक शिक्षा कार्यक्रम पर विस्तृत चर्चा हुई.
संगठन के बयान में कहा गया कि ‘जमीयत महासचिव मौलाना महमूद मदनी (Mahmood Madni) ने देश की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) का सीएए (CAA) लागू कराने संबंधी बयान और असम सरकार के मदरसों से जुड़े फैसले को भेदभाव बताया है.
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जमीयत का प्रस्ताव
जमीयत के प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि मदरसों से जुड़े लोगों का देश की आजादी में भी अहम योगदान रहा है और आज भी मदरसे के लोग विभिन्न क्षेत्रों में देश की तरक्की के लिए अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे हैं’
पिछले दिनों मध्य प्रदेश की अध्यात्म एवं संस्कृति मंत्री ने अपने बयान में मदरसों को सरकारी खजाने से मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद किए जाने की पैरवी की थी. उन्होंने कथित तौर पर यह दावा भी किया कि 'देश के सारे कट्टरवादी और आतंकवादी मदरसों में पले-बढ़े हैं'.
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