आतंकियों को ढेर करने के बाद सुरक्षाबल ही कर देंगे उन्हें दफन, परिवार को नहीं मिलेंगे शव!
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आतंकियों को ढेर करने के बाद सुरक्षाबल ही कर देंगे उन्हें दफन, परिवार को नहीं मिलेंगे शव!

स्थानीय आतंकियों के जनाजे में बड़ी संख्या में भारत विरोधी नारे लगाए जाते हैं. ये रैली देश विरोध के प्रदर्शन का जरिया बन जाती हैं.

मई 2018 को एक ऑपरेशन में मारे गए आतंकी मो. रफी बट के जनाजे में शामिल लोग. फोटो : पीटीआई

नई दिल्ली : जम्मू एंड कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं के बाद सुरक्षाबलों ने उनके खिलाफ अपना ऑपरेशन तेज कर दिया है. जम्मू कश्मीर में गठबंधन सरकार के गिरने के बाद राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज होगा. ऐसे में लोकल आतंकियों के मारे जाने के बाद उपजने वाले तनाव को खत्म करने के लिए सेना और सुरक्षाबल बड़ा निर्णय लेने वाले हैं. लोकल टेरेरिस्ट के मारे जाने के बाद उसके जनाजे में बड़ी संख्या में लोग उमड़ते हैं. इनमें जिस तरह की नारेबाजी होती है, उससे दूसरे युवाओं के रास्ता भटकने का डर रहता है. कई बार आतंकी गुट भी इसमें शामिल होते हैं. ऐसी स्थिति से बचने के लिए अब सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकियों को मार गिराने के बाद खुद इन्हें दफनाने का निर्णय किया है.

  1. पहले भी इस तरह के कदम उठाए जा चुके हैं
  2. राज्य पुलिस तय करेगी किसे शव सौंपे जाएं और किसे नहीं
  3. केंद्र सरकार ने अभी इस मामले में आखिरी निर्णय नहीं लिया है

सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसिया आतंकियो के शव को उनके परिवार वालों को देने के खिलाफ हैं. इन एजेंसियों का मानना है कि जनाजे में भीड़ और नारेबाजी से नए आतंकी पनपते हैं. सूत्रों के अनुसार स्थानीय युवाओं को आतंक की राह पर जाने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय से मिली एक अडवाइजरी के बाद यह फैसला लिया गया है.

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हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने अभी ये निर्णय केंद्र और राज्य सरकार पर छोड़ सकती है कि किन आतंकियो के शव परिवार वालों को दिया जाये और किन के नहीं. इससे पहले राज्य के डीजीपी एसपी वैद ने भी यह कहा था कि जनाजे में इकट्ठा होने वाली भीड़ को रोकने के लिए पुलिस कुछ रणनीतियों का निर्धारण कर रही है, जिससे कि कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखा जा सके. 

पहले भी देखा गया है कि किसी स्थानीय आतंकी के मारे जाने के बाद उनके जनाजे में महिला और पुरुषों की जमकर भीड़ इकट्ठी होती है. ये रैली भारत विरोधी यात्रा में तब्दील हो जाती है. किसी स्थानीय आतंकी के मारे जाने के बाद उसके शव को उसके घरवालों को सौंपने के अलावा दूसरी जिम्मेदारी राज्य की पुलिस की होती है.

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सूत्रों के अनुसार केंद्र ने अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया है. हालांकि जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उनके अनुसार, आखिरी निर्णय राज्य पुलिस के अनुसार ही लिया जाएगा. क्योंकि बॉडी को सौंपने का निर्णय उन्हीं को करना होता है. इसके अलावा ये भी निर्णय किया जा सकता है कि जहां एनकाउंटर हुआ वहीं किसी पास की जगह पर आतंकियों को दफना दिया जाए.

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