मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने बताया कि ‘आरक्षण के आधार पर पदोन्नत सरकारी सेवकों की वरिष्ठता का निर्धारण (राज्य में लोक सेवा में पद के लिए) कानून 2017’ को लागू करने का फैसला किया है.
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बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने बुधवार को एससी और एसटी के लिए पदोन्नति में आरक्षण पर 2017 के एक कानून को लागू करने का फैसला किया है जबकि, उच्चतम न्यायालय ने मामले में पूर्व में मौखिक तौर पर यथा स्थिति बनाए रखने की सलाह दी थी .
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने बताया कि ‘आरक्षण के आधार पर पदोन्नत सरकारी सेवकों की वरिष्ठता का निर्धारण (राज्य में लोक सेवा में पद के लिए) कानून 2017’ को लागू करने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि निर्धारित दिशा-निर्देश और प्रक्रिया के तहत इसे लागू किया जाएगा और कैबिनेट का फैसला उच्चतम न्यायालय में संबंधित मामले के फैसले पर निर्भर करेगा. कर्नाटक 1978 से एससी/एसटी समुदायों को प्रमोशन में आरक्षण दे रहा था .
शीर्ष अदालत ने फरवरी 2017 में राज्य में एससी/एसटी से जुड़े कर्मचारियों को दी गयी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी. फैसले से 45 विभागों के कम से कम 8,000 कर्मचारी प्रभावित हुए थे. हालांकि, पिछली कांग्रेस सरकार बाद में शीर्ष न्यायालय के आदेश को दरकिनार करने के लिए कानून ले आई और यह सुनिश्चित किया कि आरक्षण बरकरार रहे.
चूंकि, न्यायालय ने जुलाई में यथास्थिति बनाए रखने की मौखिक रूप से सलाह दी थी, इसलिए कानून का क्रियान्वयन रूका हुआ था. गौडा ने कहा कि सरकार ने हाल में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से कानूनी सलाह मांगी थी. रोहतगी मामले में अदालत में सरकार की पैरवी कर रहे हैं .
अपनी लिखित राय में रोहतगी ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि राज्य कानून लागू करने पर आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि विधायिका इसे पारित कर चुकी है और राष्ट्रपति अपनी मंजूरी दे चुके हैं .
(इनपुट - भाषा)