कर्नाटक का सियासी गतिरोध पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बागी विधायकों ने स्पीकर पर लगाए आरोप
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कर्नाटक का सियासी गतिरोध पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बागी विधायकों ने स्पीकर पर लगाए आरोप

बागी विधायकों ने स्पीकर पर जानबूझकर उनके इस्तीफे की स्वीकृति में देरी का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः कर्नाटक में चल रहा राजनीतिक गतिरोध अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) के बागी विधायकों ने अपने इस्तीफे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार पर अपने संवैधानिक कर्तव्य को छोड़ने और जानबूझकर उनके इस्तीफे की स्वीकृति में देरी का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है. वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने मामले को सीजेआई के सामने रखा. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार 11 जुलाई को सुनवाई कर सकता है.

दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार इस्तीफे को खारिज कर दिया था.इसके खारिज करने की वजह इस्तीफा तय फॉर्मेट में नहीं होना बताया गया था. स्पीकर ने इन विधायकों को अब दोबारा इस्तीफा सौंपने के लिए कहा था. इस्तीफों के खारिज होने के बाद गठबंधन सरकार अल्पमत में आने से बच गई है और उसे थोड़ी राहत मिली थी.

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इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष से सवाल किया गया था कि क्या कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ ने उन्हें इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने के लिए कोई पत्र लिखा है? कुमार ने कहा था कि उन्होंने अभी पत्र नहीं देखा है.मैं शनिवार को ऑफिस से जाने के बाद आज ही आया हूं. रमेश ने कहा था किसंविधान या नियम में समय सीमा को लेकर कोई प्रावधान नहीं है.आज मैं इसे तय करूंगा या अगले दो घंटों में, इसे दो साल बाद करूंगा, ये सभी मेरे लिए अप्रासंगिक प्रश्न हैं.मुझे लोगों की भावनाओं का ध्यान रखना है.

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आपको बता दें कि बागी विधायकों के इस्तीफों के बाद सदन में गठबंधन सरकार के विधायक घटकर 103 हो गए हैं. जबकि भाजपा के पास 105 विधायक हैं और दो निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है जिन्होंने सोमवार को गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया था. सभी बागी विधायकों ने महाराष्ट्र में किसी गुप्त जगह पर डेरा डालकर रखा है.कांग्रेस के कई शीर्ष नेता और इसके संकटमोचक डीके शिवकुमार बागी नेताओं के साथ लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह अभी तक कामयाब नहीं हो पाए है.कांग्रेस को उम्मीद हैं की वह बागी विधायकों से बात कर उन्हें मना लेंगे और वापस पार्टी में शामिल करने में सफल होंगे. 

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