सिख लड़की ने अपनी मुस्लिम सहेली के लिए किडनी दान करने का किया फैसला, परिवार सहमत नहीं
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सिख लड़की ने अपनी मुस्लिम सहेली के लिए किडनी दान करने का किया फैसला, परिवार सहमत नहीं

उधमपुर की रहने वाली यह सिख लड़की अपने परिवार और अस्पताल द्वारा उठाई गई अड़चनों के बावजूद अपने निर्णय पर कायम है. 

सिख लड़की ने अपनी मुस्लिम सहेली के लिए किडनी दान करने का किया फैसला, परिवार सहमत नहीं

श्रीनगरः सच्ची दोस्ती क्या है इससे बेहतर कोई और मिसाल नहीं मिल सकती है. 23 वर्षीय मनजोत कोहली ने अपनी मुस्लिम सेहली समरिन अख्तर के जीवन को बचाने के लिए अपना एक गुर्दा (किडनी) दान करने का फैसला किया है. उसकी सेहली के दोनो गुर्दे ख़राब है और 9 वह महीनों से अस्पताल में पड़ी है. 

उधमपुर की रहने वाली यह सिख लड़की अपने परिवार और अस्पताल द्वारा उठाई गई अड़चनों के बावजूद अपने निर्णय पर कायम है. गुर्दा ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया में परिवार द्वारा उठाई आपत्ति के बाद अस्पताल की देरी करने को लेकर लड़की ने अब अदालत से संपर्क करने का फैसला किया है.

मनजोत कोहली के मुताबिक " यह हमें इसलिए अलाउ नहीं कर रहे है क्योंकि हमारे राज्य में इस तरह का कुछ पहली बार हो रहा है. इसमें अस्पताल खुद परेशान है. क्या करना है, क्या नहीं. मेरे पास अदालत की ऐसी जजमेंट पड़ी है. ऐसा मामला राजस्थान का था और अदालत ने डोनर के हक़ में फैसला दिया था. अब जब इनको ही कानून की खबर नहीं है, तो हम को ही कुछ करना है. मैंने अपने वकील से बात की है अब कोशिश है कि अदालत के ज़रिये ही आदेश ले मगर इस बीच अगर समरीन को कुछ होगा तो ज़िम्मेदार कौन होगा.

मनजोत एक सोशल ऐक्टिविस्ट है और राजौरी की रहने वाली समरीन अख्तर और वो पिछले 4 सालों से दोस्त हैं. समरीन उनके साथ सोशल वर्क में भी उनका सहयोग करती आई हैं. समरीन ने अपनी बीमारी के बारे में कभी नहीं बताया लेकिन उन्हें उन दोनों की एक सांझी दोस्त से जब यह बात पता चली तो मनजोत यहां चली आई और पिछले 4 महीने से समरीन के साथ श्रीनगर स्किम्स में है जहां उसका इलाज जारी है. 

मनजोत सिंह कोहली ने बताया "मुझे जब पता चला की उसे किडनी की ज़रूरत है. बी+ डोनर की ज़रूरत है. तो मैंने उसी वक्त उसे फ़ोन करके बोला कि में आ रही हूं. मैं चार महीनों से उसके साथ हूं. वो डायलिसिस पर है, मगर उसकी हालत इतनी बिगड़ गई है कि डायलिसिस का असर भी कम हो रहा है. मुझे ऐसा लगा कि वो भी मेरी उम्र की है और उसे भी जीने का पूरा हक़ हे और सबसे बड़ी बात वो मेरी दोस्त है. 

यह बात पता चलने पर मनजोत के परिवार ने अस्पताल को एक नोटिस भेजी है कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो वो उनके खिलाफ कानूनी करवाई करेंगे. मगर मनजोत कहती है कि उनके पिता पहले राज़ी थे मगर बाद में किसी के दबाव में आकर उन्होंने मेरा साथ छोड़ा दिया .  

मनजोत सिंह कोहली ने कहा " मैं बालिग हूं, 23 साल की हूं. मैं अपने जिस्म के साथ क्या करूं इसकी मुझे पूरी आज़ादी है. मुझे परिवार की सहमति की भी ज़रूरत नहीं. मैं बालिग हूं और कानून की मदद ले सकती हूं".

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मनजोत ने कहा अस्पताल चार महीने से हमें बेवकूफ बना रहा है. कभी एक बहाना करते है, कभी दूसरा. मगर समरीन की हालत बिगड़ रही है, अगर देर हुई तो उसका बचना मुश्किल होगा. मैं इंसानियत के तौर पर यह कर रही हूं कि मुझे तो उससे दोस्ती करने की बाद पता चला था उसका नाम क्या है. 

वहीं स्किम्स में इलाज करवा रही मुस्लिम युवती समरीन अख्तर ने कहा कि वह इस मोहब्बत के लिए अपनी सहेली की शुक्रगुजार है. 

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समरिन अख्तर ने बताया " डॉक्टर कह रहे हैं कि धार्मिक मुद्दा बन जाएगा, लेकिन मनजोत ने यह नहीं सोचा कि मैं एक मुस्लिम हूं वो तो इंसानियत के नाते अपना फर्ज़ निभा रही है. और अगर ऐसा कदम नहीं उठाया जाएगा तो मिसालें कैसे पेश की जाएंगी. समरीन ने कहा कि हो सकता हैं कि हमारा यह उदाहरण देख बाकि लोग भी जाग जाएंगे और बिना धर्म जाति की परवाह किए इंसानियत का फर्ज़ निभाएंगे". 

एक ऐफ़िडेविट के अनुसार मनजोत ने 26 मई, 2018 को समरीन को अपनी किडनी डोनेट करने की इच्छा व्यक्त की थी. लेकिन मनजोत के अनुसार उनके परिवार द्वारा अस्पताल प्रबंधन को एक नोटिस भी भेजा गया था. तब से आज तक अस्पताल टाल-मटोल कर रहा है. उसके अनुसार अस्पताल को डर है कहीं कोई मुद्दा न बन जाए.

आज उन्होंने अपनी वकील के साथ स्किम्स के निदेशक से मुलाक़ात की है और उनके सामने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट और कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसलों की मिसाल पेश की जो हमारे ही मामले की तरह थे. और इसके बाद निदेशक ने आश्वासन दिलाया है कि जल्द ही इसमें कोई फैसला लिया जाएगा. इस मामले को लेकर जब स्किम्स के निदेशक ने बताया कि हमने ऑथोराईजेशन कमेटी को इस बारे में बताया है और जल्द से जल्द इस मामले को लेकर मीटिंग बुलाई जाएगी और कोई फैसला इसको लेकर लिया जाएगा.

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