पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पत्थरबाजी से माहौल और अधिक बिगड़ गया.
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तिरूवनंतपुरम/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद बुधवार को केरल में मासिक पूजा के लिए भगवान अय्यप्पा का मंदिर (सबरीमाला) बुधवार को खोले गए. इस दौरान सबरीमाला मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार माने जाने वाले निलाक्कल इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है. पहले दिन कपाट खुलने पर सबरीमाला मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर बेस कैंप निलाक्कल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की बीच हिंसक झड़प हो गई. बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया था, जिसके बाद पथराव करने वाले लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
#WATCH: Police lathi-charge and pelt stones at the protesters gathered at Nilakkal base camp, in Kerala. #SabarimalaTemple pic.twitter.com/DMC1ePz0l2
— ANI (@ANI) October 17, 2018
न्यूज एजेंसी एएनआई के वीडियो के अनुसार, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पत्थरबाजी से माहौल और अधिक बिगड़ गया. पथराव के कारण लोग सड़कों पर भागते नजर आए. वहीं निलाक्कल में प्रदर्शनकारियों ने पत्रकारों के साथ भी मारपीट की है. कुछ महिला पत्रकारों के साथ भी प्रदर्शनकारियों ने बदसलूकी की. पुलिस ने पत्रकारों को प्रदर्शनकारियों से बचाते हुए पुलिस वैन में वहां से निकाला. बता दें कि मंगलवार को भक्तों ने प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं को लेकर मंदिर की तरफ से जाने वाले वाहनो को रोक दिया था. वहीं, इस मुद्दे के समाधान के लिए त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने मंगलवार को अहम बैठक बुलाई थी, जिसमें कोई सहमति नहीं बन सकी. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है.
#WATCH: India Today journalist Mausami Singh and its crew in a police vehicle. They were attacked by the protesters at Nilakkal base camp. #SabarimalaTemple #Kerala pic.twitter.com/R7rsSBK8fx
— ANI (@ANI) October 17, 2018
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के सभी उम्रवर्ग की महिलाओं के प्रवेश से संबंधित हालिया फैसले के बाद पारस्थितिकीय रूप नाजुक पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखला पर स्थित इस मंदिर को पहली बार बुधवार को खोला गया है. सबरीमाला पहाड़ी से करीब 20 किलोमीटर दूर निलाक्कल में बड़ी संख्या में तैनात पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे समूह ‘सबरीमला आचार संरक्षण समिति’ के तंबू आदि भी हटा दिए हैं.
22 अक्टूबर को बंद हुए थे मंदिर के कपाट
एक महिला आंदोलनकारी ने कहा, ‘प्रतिबंधित उम्र 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को निलाकल से आगे नहीं जाने दिया जाएगा और उन्हें मंदिर में पूजा भी नहीं करने दी जाएगी.’ मंदिर को मलयालम थुलाम महीने में पांच दिन की मासिक पूजा के बाद 22 अक्टूबर को बंद कर दिया गया था.
मुख्यमंत्री ने दी चेतावनी
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा, ‘हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. मेरी सरकार सबरीमला के नाम पर कोई हिंसा नहीं होने देगी.’ मुख्यमंत्री ने कहा,‘श्रद्धालुओं को सबरीमला जाने से रोकने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग नहीं करने के सरकार के फैसले पर फिर से विचार किये जाने की संभावना खारिज कर दी. विजयन ने कहा,‘हम सुप्रीम कोर्ट के कहे का पालन करेंगे.’
बोर्ड ने फैसले के पुनर्विचार के लिए तैयार नहीं होने के अपने पहले के रुख से एक तरह से हटते हुए संकेत दिया कि 19 अक्टूबर को होने वाली बैठक में मामला उठाया जाएगा.
पक्षकारों की बैठक में नहीं बनी सहमति
वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने के जटिल और संवेदनशील मुद्दे के समाधान के लिए त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने मंगलवार को अहम बैठक बुलाई थी जिसमें कोई सहमति नहीं बन सकी. हालांकि भगवान अयप्पा के मंदिर समेत राज्य के 1200 से अधिक मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले बोर्ड ने कहा कि पक्षकारों से बातचीत जारी रहेगी ताकि कोई समाधान निकल सके.
बोर्ड ने फैसले के पुनर्विचार के लिए तैयार नहीं होने के अपने पहले के रुख से एक तरह से हटते हुए संकेत दिया कि 19 अक्टूबर को होने वाली बैठक में मामला उठाया जाएगा. बैठक में मंदिर प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पक्षकारों ने भाग लिया जिनमें मंदिर के तंत्री (प्रमुख पुजारी), पंडालम शाही परिवार के सदस्य, अयप्पा सेवा समाजम और योग क्षेम सभा के सदस्य शामिल हैं.