राजस्थान(Rajasthan) में दो उप चुनाव का परिणाम (Rajasthan Vidhansabha By Elections 2019) सत्ताधारी कांग्रेस के लिए कहीं खुशी कहीं गम वाली फीलिंग लेकर आया.
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जयपुर: राजस्थान(Rajasthan) में दो उप चुनाव के परिणाम(Vidhansabha By Elections 2019) सत्ताधारी कांग्रेस के लिए कहीं खुशी कहीं गम वाली फीलिंग लेकर आए. कांग्रेस(Congress) ने जहां मंडावा(Mandawa) में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज हासिल की वहीं खींवसर(Khinwsar)में मुहाने पर आकर जीत दर्ज नहीं कर पाने का भी मलाल रहा. लेकिन दोनों ही सीटों में एक जीत और एक पर बढ़े वोट प्रतिशत ने राजस्थान में कांग्रेस सरकार के 10 महीने के कामकाज पर मोहर लगाई है.
राजस्थान के उप चुनाव के परिणाम में दोनों सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है. जहां कांग्रेस ने मंडावा की सीट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की है. वहीं आरएलपी खींवसर में अपनी गढ़ को बचाने में बड़ी मुश्किल से कामयाब हो पाई है.
जनता ने लगाई गहलोत सरकार के पक्ष में मुहर
जनता ने एक तरीके से अपने वोट के जरिए राजस्थान में सरकार के 10 महीने के कामकाज पर मुहर लगाई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोनों चुनाव के परिणामों को लेकर खुशी जाहिर की है.
मण्डावा उपचुनाव में भारी मतों से विजयी हुई रीटा चौधरी जी को हार्दिक बधाई। खींवसर उपचुनाव सभी ने एकजुट होकर मजबूती से लड़ा, जहां लोकसभा चुनावों में इस सीट पर लगभग 55000 का डिफ़रेंस रहा वहीं सिर्फ 5 महीने बाद करीब 4630 का अंतर हमारे लिए जीत के समान ही है। #RajasthanByPolls
1/2— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 24, 2019
रिजल्ट के बाद सीएम गहलोत ने दी बधाई
सीएम ने अपने ट्वीट में मंडावा में अब तक की सबसे बड़ी जीत के लिए रीटा चौधरी को बधाई दी. वहीं खींवसर में भी लोकसभा में 55000 और विधानसभा में 17000 की जीत के बाद महज 4630 वोटों से हार को भी सीएम गहलोत ने कांग्रेस पार्टी की जीत बताया है. गहलोत ने दोनों ही सीटों पर काम करने वाले पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी बधाई दी है.
कांग्रेस मुख्यालय में मनाया गया जश्न
कांग्रेस की मंडावा सीट पर 33000 से अधिक मतों की जीत के बाद पीसीसी में जश्न मनाया गया. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी और मिठाई खिलाकर जीत की खुशी बनाई. वहीं मुख्यमंत्री आवास पर भी कई मंत्रियों ने सीएम को बधाई दी.
बीजेपी को झेलना पड़ा नुकसान
दरअसल, इन परिणामों ने एक तरीके से जहां सरकार के कामकाज पर मुहर लगाई है. वहीं बीजेपी को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा है. आरएलपी को भी खींवसर में अपने ही गढ़ को बचाने में जद्दोजहद करनी पड़ी है. उससे हनुमान बेनीवाल के जनाधार पर सवाल खड़े हुए हैं. बीजेपी को इन दोनों ही सीटों पर भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. गठबंधन में आरएलपी के सीट पर जहां बीजेपी कार्यकर्ता उतना सक्रिय नजर नहीं आया. वहीं, मंडावा के चुनाव में आरएलपी का जाट वोटों पर प्रभाव नहीं दिखा है.
मंडावा सीट पर कांग्रेस ने की वापसी
मंडावा सीट में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 2346 वोटों से चुनाव हारी थी और पहली बार बीजेपी ने वहां कमल खिलाया था लेकिन कांग्रेस ने 33000 से अधिक मतों से जीत दर्ज कर यह गढ़ वापस हासिल कर लिया है. वहीं खींवसर में जहां लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल को 55000 वोटों की लीड मिली थी और विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर 17000 से अधिक था वही 4630 वोटों के अंतर ने बीजेपी और आरएलडी की ताकत को कमजोर करने का काम किया है. निश्चित तौर पर कांग्रेस दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज करने की योजना पर काम कर रही थी.
खींवसर सीट पर जीत के लिए दिग्गजों ने झोंकी ताकत
खींवसर में कांग्रेस के बड़े नेताओं ने अपनी पूरी ताकत भी लगाई थी. हरेंद्र मिर्धा को टिकट देने के बाद मिर्धा परिवार भी एक मंच पर नजर आया था. लेकिन परिणाम कांग्रेस के लिए कहीं खुशी कहीं गम वाली स्थिति लेकर आया. ऐसे में अब मंडावा की बड़ी जीत और खींवसर में बढ़े वोट प्रतिशत के हौसले के साथ कांग्रेसी निकाय चुनाव में मैदान में उतरेगी. वहीं, बीजेपी के लिए आरएलपी के साथ गठबंधन को लेकर नए सिरे से विचार करना होगा.