मां के दूध में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चे के लिए जरूरी होते हैं. जिन माओं का अपने बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं निकलता है, जो बच्चे बीमार हैं या फिर जिन्हें दूध नहीं मिलता है
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मुकेश सोनी, कोटा: कई ऐसे नवजात हैं जो मां के दूध के अभाव में दम तोड़ देते हैं. कई बच्चों को पैदा होने के एक घंटे के अंदर मां का दूध नहीं मिल पाता है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए मदर मिल्क बैंक काफी सहायक होता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कोटा सम्भाग के सबसे बड़े जेके लोन मातृ एंव शिशु चिकित्सालय में अभीतक मदर मिल्क बैंक की स्थापना नहीं हुई है जबकि यहां प्रतिदिन 30 से 40 प्रसव होते हैं. डेढ़ साल पहले स्वास्थ्य महकमे ने कोटा में मदर मिल्क बैंक खोलने की प्लानिंग की थी लेकिन सरकार बदलने के साथ ही प्लांनिग ठंडे बस्ते में चली गई.
18 माह पहले हुए थे प्रयास
बीजेपी सरकार के समय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में तत्कालीन राज्य स्तरीय सलाहकार योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल मई 2018 में जेके लोन अस्पताल का दौरा किया था और लंबी जद्दोजहद के बाद रिसेप्शन के नजदीक आउटडोर के पास करीब 1000 स्क्वायर फीट जगह चिन्हित की थी. योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल के मुताबिक करीब 78 लाख की लागत से कोटा में 9 माह में मदर मिल्क बैंक की स्थापना होनी थी.
क्यों है जरूरत
विशेषज्ञों की माने तो कुल मौतों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों की मौतें जन्म के एक माह के अन्दर हो जाती है. ये मौत निमोनिया और डायरिया जैसी बीमारियों से होती हैं जिसे मां के दूध से आसानी से बचाया जा सकता है. शिशु के जन्म से लेकर छह माह तक स्तनपान कराने से शिशु मृत्यु दर काफी हद तक कम किया जा सकता है.
मां के दूध में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चे के लिए जरूरी होते हैं. जिन माओं का अपने बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं निकलता है, जो बच्चे बीमार हैं या फिर जिन्हें दूध नहीं मिलता है उनके लिए मदर बैंक कारगर साबित होता है. क्योंकि मां के दूध में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चे के लिए जरूरी होते हैं. चिकित्सकों की मानें तो जन्म के समय कमजोर बच्चों के लिए मदर मिल्क बैंक किसी वरदान से कम नहीं होगा. इससे दूध से वंचित शिशुओं को मां का दूध मुहैया हो सकेगा. मिल्क बैंक में दूध उन माताओं से लिया जाएगा, जिनके बच्चे नहीं बचते, या फिर जिन्हें जरूरत से ज्यादा दूध आता है.
इनका कहना
जेके अस्पताल अधीक्षक डॉ. एच एल मीणा ने बताया की पिछले साल मई में जयपुर से आई टीम ने अस्पताल में मदर मिल्क की स्थापना के लिए जगह चिन्हित की थी और बजट की सैद्धान्तिक स्वीकृति की बात कही थी. डेढ़ साल बीतने को आया अभी तक ना तो कोई पत्रावली आई ना ही बजट आया, ना ही कोई इंजीनियर सर्वे करने आया. वैसे बच्चे के स्वस्थ रहने के लिए मदर मिल्क बैंक की काफी आवश्यकता है.