अब 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर और लद्दाख प्रशासिक तौर पर केंद्र सरकार के अधीन आ जाएंगे और राज्य में कई नए कानून लागू होंगे.
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जम्मू: राष्ट्रीय एकता दिवस (सरदार पटेल जयंती, 31अक्टूबर) के अवसर पर भारत के दो नए केंद्र शासित प्रदेश का जन्म होगा. जम्मू कश्मीर और लद्दाख आज (31 अक्टूबर) से केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे. कल से इन दोनों ही प्रदेशों में कई कानून खत्म हो जाएंगे और कई नए कानून लागू हो जाएंगे. बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर राज्य को दो लद्दाख और जम्मू कश्मीर दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का ऐलान किया जा चुका है. संसद के दोनों सदनों में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को मंजूरी मिल चुकी और राष्ट्रपति ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे.
अब गुरुवार (31 अक्टूबर) से जम्मू कश्मीर और लद्दाख प्रशासिक तौर पर केंद्र सरकार के अधीन आ जाएंगे और राज्य में कई नए कानून लागू होंगे. जम्मू कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा और लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा. आपको बताते हैं कि कल से जम्मू कश्मीर में क्या 10 नए बदलाव होंगे.
1. जम्मू-कश्मीर 31 अक्टूबर से केंद्र शासित प्रदेश बनेगा
2. जम्मू-कश्मीर में RPC की जगह IPC लागू होगा
3. जम्मू-कश्मीर में 106 नए कानून लागू हो जाएंगे
4. जम्मू-कश्मीर में 153 विशेष कानून खत्म हो जाएंगे
5. उर्दू की जगह हिंदी, अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं होंगी
6. जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह विधानसभा गठित होगी
7. जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल की जगह लेफ्टिनेंट गवर्नर होगा
8. विधानसभा से पास किए बिल पर अंतिम फैसला LG लेंगे
9. विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष की बजाय 5 वर्ष का होगा
10. कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी
जम्मू कश्मीर यूटी का में वर्तमान जम्मू और कश्मीर क्षेत्र शामिल होंगे. कानून और व्यवस्था केंद्र के पास रहेगी, जिसमें अब राज्य में अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने की भी शक्ति है. वर्तमान जम्मू कश्मीर के गवर्नर जम्मू कश्मीर और लद्दाख UTs के उपराज्यपाल होंगे.
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पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र पर लागू अनुच्छेद 239A का प्रावधान नए जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिए लागू होगा.नई विधानसभा में वर्तमान 6 वर्षों के स्थान पर 5 वर्षों का कार्यकाल होगा.
जीसी मुर्मू लेंगे कश्मीर के एलजी के रूप में शपथ
गुरुवार 31 अक्टूबर को, भारत एक राज्य में कम और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में अधिक जाएगा. जीसी मुर्मू (G.C.Murmu) द्वारा जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में शपथ ग्रहण के दिन को चिह्नित किया जाएगा. एक अन्य पूर्व सिविल सेवक, राधा कृष्ण माथुर(RK Mathur) बौद्ध बहुल क्षेत्र लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण करेंगे. ऐसा बताया जा रहा है कि शपथ ग्रहण दोपहर पौने दो बजे करीब होगा. मीडिया को इससे दूर रखा गया है.
विधानसभा की ताकत
नई विधानसभा में 107 विधायक होंगे. 107 विधायकों में से 24 सीटें पीओके क्षेत्र की खाली रह जाएंगी. निवर्तमान विधानसभा में 111 सदस्य थे, जिसमें 87 निर्वाचित सदस्य थे, 2 नामित थे, जबकि पीओके में 24 सीटें खाली रह गई थीं. नए कानून के तहत, एलजी जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दो महिला प्रतिनिधियों को नामित कर सकती है, अगर उसे लगता है कि महिला प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है.
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लोकसभा-राज्यसभा सीटें
राज्यसभा वर्तमान जम्मू-कश्मीर से 4 मौजूदा सदस्यों की मेजबानी करना जारी रखती है. वहीं पांच लोकसभा सीटें जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश और 1 लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र के लिए आवंटित की गई हैं.
एलजी अपनी सहमति आरक्षित कर सकता है
विधानसभा द्वारा पारित सभी बिल उसकी सहमति के लिए एलजी को भेजे जाएंगे. एलजी अपनी सहमति दे सकते हैं, इसे रोक सकते हैं या राष्ट्रपति के विचार के लिए बिल भेज सकते हैं.यदि कोई असंगति है, तो संसद द्वारा कानून नई विधानसभा द्वारा पारित किसी भी कानून पर लागू होगा.
मंत्रिपरिषद
CM के पास मंत्रियों की परिषद होगी जिसमें विधानसभा के कुल सदस्यों का 10% से अधिक नहीं होगा.
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संविधान की पहली अनुसूची में 15 स्थान पर जम्मू कश्मीर राज्य को राज्यों की सूची से हटा दिया गया है. जम्मू कश्मीर UT की एक नई प्रविष्टि को केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में संविधान की पहली अनुसूची में 8 वें स्थान पर जोड़ा गया है.
परिसीमन
केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर विधानसभा के परिसीमन का प्रस्ताव करती है. सरकार ने सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने का प्रस्ताव किया. 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन होगा.
उच्च न्यायालय
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सामान्य उच्च न्यायालय जारी रहेगा.
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लद्दाख में नहीं होगी विधानसभा
यूटी लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी और एलजी के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीधे शासित किया जाएगा, कश्मीर में एक विधानसभा होगी और दिल्ली मॉडल की तर्ज पर बड़े पैमाने पर काम करेगी, लेकिन जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन के लिए नियम अधिनियम, 2019 को अभी अधिसूचित नहीं किया गया है.
सभी आयोग भंग
सभी आयोग भंग कर दिए जाएंगे, राज्य मानव अधिकार आयोग, महिला आयोग, सूचना आयोग, जवाबदेह आयोग, हालांकि लोक सेवा आयोग कुछ समय के लिए रहेगा.