महाराष्‍ट्र: सूख गई गोदावरी, अब गड्ढों से पानी निकालकर श्रद्धालुओं को बेचा जा रहा है
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महाराष्‍ट्र: सूख गई गोदावरी, अब गड्ढों से पानी निकालकर श्रद्धालुओं को बेचा जा रहा है

पैठण तीर्थस्थल का गोदावरी पात्र सूख गया है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के धार्मिक अनुष्‍ठान के लिए पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं. गोदावरी के पात्र में गड्ढे करकर पानी निकाला जा रहा है. उस पानी को निकालकर श्रद्धालुओं को बेचा जा रहा है.

महाराष्‍ट्र: सूख गई गोदावरी, अब गड्ढों से पानी निकालकर श्रद्धालुओं को बेचा जा रहा है

विशाल करोले, औरंगाबाद: गोदावरी नदी के किनारे बसा महाराष्ट्र का पैठण शहर तीर्थ स्थल है, इसे दक्षिण की काशी भी माना जाता है. पैठण भागवत संप्रदाय के कई संतो की कर्मभूमि भी रही है. संत ज्ञानेश्वर, एकनाथ महाराज की कर्मभूमि‍ के रूप में यहां की पहचान है. पैठण में सैकड़ों हजारों की संख्‍या में श्रद्धालु आते हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार गोदावरी नदी का स्नान पवित्र मान जाता है. लेकिन अब सूखे के कारण नदी सूख गई है.

पैठण तीर्थस्थल का गोदावरी पात्र सूख गया है. यहां की धार्मिक कार्यकलापों पर इसका असर पड़ा है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के धार्मिक अनुष्‍ठान के लिए पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं. गोदावरी के पात्र में गड्ढे करकर पानी निकाला जा रहा है. उस पानी को निकालकर श्रद्धालूओं को बेचा जा रहा है. नदी पात्र में खुदाई कर निकाले एक बाल्‍टी पानी को 5 से 10 रुपए में बेचा जा रहा है. श्रद्धालु भी धार्मिक विधि‍ से पहले गड्ढे से निकाला पानी खरीदते हैं. इसी पानी से नहाकर धार्मिक अनुष्‍ठान करते हैं.

परिवार में से जो व्यक्ति‍ धार्मिक विधि करेगा वह इस नदी पात्र से निकाले गए पानी से नहाता है. पवित्र जल के लिए भी पैसा देने की नौबत श्रद्धालूओं पर है. ऐसे में पवित्र जल से स्नान करने वालो की संख्या भी घटी है.

दूसरी और यहाँ परि‍वार के सदस्य के मौत की बाद के अनुष्‍ठान के लिए जो लोग यहाँ आते हैं उनके लिए पानी तो और मंहगा हो जाता है. ग्रामीण इनके लिए पानी का टैंकर भेज देते हैं. इसके लिए श्रद्धालूओं को हजार रुपए देने पड़ते हैं. यह पानी का टैंकर सीधे गोदावरी नदी पात्र में पहुंचाया जाता है. यह टैंकर गांव के किसी कुएं से भरकर लाया जाता है.  इस साल सूखे से गोदावरी का जायकवाडी बांध में पानी नहीं बचा है.

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