दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि बच्चों को टीका देने के लिए माता-पिता की अभिव्यक्त सहमति जरूरी है.
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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को आप सरकार को स्पष्ट कर दिया कि स्कूलों में चलाए जाने वाले टीकाकरण अभियान के लिये उसके विज्ञापनों में खसरा और रूबेला के टीकों से जोखिम के बारे में बताया जाना चाहिये और बच्चों को टीका देने के लिये माता-पिता की अभिव्यक्त सहमति जरूरी है.
न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने कहा, 'सहमति के लिए टीके के जोखिम के बारे में बताना जरूरी है. आपको लोगों को जोखिम के बारे में बताना होगा.' उन्होंने कहा कि सहमति अभिव्यक्त होनी चाहिए.
दिल्ली सरकार के वकील रमेश सिंह ने जब कहा कि टीके के जोखिम के बारे में बताने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह लोगों को हतोत्साहित कर सकता है, उसके बाद अदालत ने यह टिप्पणी की. वकील ने यह भी कहा कि यह बच्चों को तब तक दिया जाएगा जब तक कि माता-पिता लिखित में इसके लिए मना नहीं कर देते.
दिल्ली सरकार की दलील को अदालत के समक्ष रखे गए प्रस्तावित मसौदा आदेश में रखा गया. अदालत माता-पिता की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें शिक्षा निदेशालय के 12 दिसंबर 2018 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है. अधिसूचना में कहा गया था कि टीका देने के लिये माता-पिता की अभिव्यक्त सहमति की आवश्यकता नहीं है.
अदालत ने इस साल 15 जनवरी को टीकाकरण अभियान को स्थगित कर दिया था.