मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की : सूत्र
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मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की : सूत्र

नौ नवंबर को पिछले विधानसभा की मियाद खत्‍म हुई थी. इससे पहले राज्‍यपाल ने बीजेपी, शिवसेना के बाद एनसीपी को आज शाम साढ़े आठ बजे तक समर्थन जुटाने का वक्‍त दिया था. 

मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की : सूत्र

नई दिल्‍ली: महाराष्‍ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हो रही है. खबर है कि मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की गवर्नर की सिफारिश को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है. बता दें  कि शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस और एनसीपी के मंथन के बीच सूत्रों के मुताबिक राज्‍यपाल ने राष्‍ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी है. नौ नवंबर को पिछले विधानसभा की मियाद खत्‍म हुई थी. इससे पहले राज्‍यपाल ने बीजेपी, शिवसेना के बाद एनसीपी को आज शाम साढ़े आठ बजे तक समर्थन जुटाने का वक्‍त दिया था. लेकिन सूत्रों के मुताबिक संभवतया राज्‍यपाल को ऐसा लगा कि कोई भी दल या गठबंधन स्थिर सरकार बनाने के पक्ष में नहीं है, लिहाजा राष्‍ट्रपति शासन की सिफारिश की.

हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने महाराष्‍ट्र के सियासी संकट पर कैबिनेट बैठक अपने आवास पर बुलाई. आज दोपहर बाद ब्राजील दौरे पर जाने से पहले कैबिनेट की बैठक हो रही है.

24 अक्‍टूबर को विधानसभा चुनाव नतीजे के 19 दिन बाद भी अभी तक कोई दल बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े को राज्‍यपाल के समक्ष पेश नहीं कर पाया. महाराष्‍ट्र की 288 सदस्‍यीय विधानसभा में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. चुनाव पूर्व के भाजपा-शिवसेना गठबंधन को स्‍पष्‍ट जनादेश मिला था. लेकिन शिवसेना के 50-50 फॉर्मूले की मांग के कारण ये गठबंधन टूट गया. उसके बाद शिवसेना ने एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिशें कीं लेकिन अंतिम समय तक कांग्रेस के समर्थन को लेकर असमंजस में बने रहने के कारण सियासी गतिरोध बना रहा.

उल्‍लेखनीय है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल बी.एस. कोश्यारी ने सोमवार देर शाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को राज्य में अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने मीडियाकर्मियों से कहा था, "राज्यपाल ने हमारे प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित किया है और संकेत है कि एक आमंत्रण पत्र हमें दिया जाएगा. कल हम अगली सरकार बनाने के तौर-तरीकों पर कांग्रेस के साथ चर्चा करेंगे."

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इसके पहले राकांपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मीडिया को बताया कि राज्यपाल ने उन्हें रात 8.30 बजे बुलाया और वह आधा दर्जन अन्य नेताओं के साथ उनसे मिलने के लिए राजभवन जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि उन्होंने क्यों बुलाया है.

मलिक ने कहा कि 24 घंटे की छोटी अवधि के कारण कांग्रेस-राकांपा सरकार बनाने के लिए जरूरी चीजों का बंदोबस्त नहीं कर सकीं, जिससे शिवसेना अपने दावे को अंतिम रूप दे पाती. उन्होंने कहा, "राज्यपाल को हस्ताक्षर, नाम, विधानसभा सीटों के नाम और समर्थन करने वाले सभी विधायकों की संख्या के साथ पत्र चाहिए था, जो इतने कम समय में संभव नहीं था. सेना ने अतिरिक्त समय मांगा, लेकिन राज्यपाल ने समय देने से इंकार कर दिया."

इसके पहले रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया था. और सोमवार को शिवसेना कांग्रेस और राकांपा के समर्थन के पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकी, यद्यपि उसने दोनों दलों से सैद्धांतिक रूप से समर्थन प्राप्त होने का दावा किया. उसके बाद अब राकांपा को मौका दिया गया है.

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विशेषज्ञों की राय
इससे पहले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने के लिए मौका देने के मुद्दे पर लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने कहा था, "राज्यपाल संविधान का अनुसरण कर रहे हैं. पार्टियों को एक के बाद एक बुलाकर उन्होंने एक संवैधानिक रास्ता चुना है, जिसके जरिए खरीद-फरोख्त को रोका जा सकता है." संविधान के अनुसार, राज्य में सरकार बनाने के लिए समयसीमा के मामले में राज्यपाल का निर्णय अंतिम है, खासतौर से महाराष्ट्र में पैदा हुए एक राजनीतिक संकट के परिप्रेक्ष्य में.

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कश्यप ने कहा कि यदि राज्यपाल को लगता है कि कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, तब वह राष्ट्रपति को इस बारे में सूचित कर सकते हैं. कश्यप ने कहा, "यदि वह चाहें तो एनसीपी के बाद कांग्रेस को भी बुला सकते हैं. शिवसेना के मामले में संभवत: उन्हें नहीं लगा कि यह पार्टी सरकार बना पाने में सक्षम है."

लोकसभा के पूर्व सचिव पी.डी.टी. आचारी ने कहा कि समयसीमा के मामले में कोई निर्णय लेने के लिए राज्यपाल के पास पूरा अधिकार है. आचारी ने महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट पर कहा, "राज्यपाल की प्राथमिकता राज्य में सरकार बनाने की है. यदि उन्हें लगता है कि कोई संभावना है, तो वह निश्चित रूप से समयसीमा बढ़ा सकते हैं जिससे कोई पार्टी सरकार बना सके. लेकिन यदि उन्हें लगता है कि इसकी कोई संभावना नहीं है तो वह इस बारे में राष्ट्रपति को सूचित कर सकते हैं."

(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ

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