6 दिन के मासूम के लिए देवदूत बने आदित्य ठाकरे, रंग लाई सोशल मीडिया की मुहिम
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6 दिन के मासूम के लिए देवदूत बने आदित्य ठाकरे, रंग लाई सोशल मीडिया की मुहिम

अस्पताल में पता चला कि बच्चे के इलाज में लगभग दो से ढाई लाख रुपये का खर्च आएगा.

फोटो में बाईं तरफ नवजात बच्चा आरजू अंसारी और दाईं तरफ आदित्य ठाकरे.

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुंबई के मुलुंड स्थित फोर्टिस अस्पताल में महज 6 दिन का नवजात बच्चा आरजू अंसारी जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है. छह दिन के आरजू अंसारी के हार्ट में जन्म से ही तीन वॉल ब्लॉक हैं और सुराक है. जिंदा रहने के लिए आरजू को तुरंत हार्ट सर्जरी की जरूरत है. पेशे से पेंटर पिता अब्दुल अंसारी को जब इस बात का पता चला तो उनके पांव के नीचे की जमीन खिसक गई. लेकिन आर्थिक तंगी से गुजरने के बावजूद अब्दुल अंसारी ने अपना धैर्य नहीं खोया और यह निश्चय किया कि वह अपने बच्चे का इलाज करवाएंगे.

  1. आदित्य ठाकरे ने मासूम की मदद की
  2. मासूम के ऑपरेशन के लिए दो से ढाई लाख रुपये की जरूरत थी
  3. 'PAIVS’ दिल से जुड़ी गंभीर बीमारी है

आरजू के पिता अब्दुल अंसारी ने बच्चे के इलाज के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. सरकारी अस्पताल से निराशा हाथ लगने के बाद अब्दुल अंसारी नवजात बच्चे आरजू को लेकर मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल गए, जहां उन्हें पता चला कि बच्चे के इलाज में लगभग दो से ढाई लाख रुपये का खर्च आएगा. तमाम कोशिशों के बावजूद जब अब्दुल अंसारी पैसे जुटाने में असमर्थ साबित हुए, तब उन्होंने अपने परिचित लोगों से मदद की गुहार लगाई. उन्हीं के जान-पहचान के लोगों में से किसी ने इस बात को सोशल मीडिया तक पहुंचा दिया.

जिसके बाद मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य के पर्यावरण मंत्री और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने मासूम के इलाज के लिए आर्थिक मदद पहुंचाने का निर्णय लिया. सोशल मीडिया पर चली मुहिम और आदित्य ठाकरे से मदद मिलने के बाद आरजू का इलाज अभी अस्पताल में चल रहा है. अब्दुल अंसारी अब आदित्य ठाकरे के मदद से खुश हैं और उनका शुक्रिया अदा कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि आरजू अब जल्द स्वस्थ हो जाएगा.

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आरजू को है ‘PAIVS’ नामक दिल की बीमारी 
'PAIVS’ दिल से जुड़ी एक बीमारी का नाम है. इस बीमारी के कारण खून दिल तक जाने के लिए सामान्य रास्ते का इस्तेमाल नहीं करता है. शरीर के मुख्य धमनी से रक्त के गुजरने के दौरान उसमें सामान्य मात्रा में ऑक्सीजन नहीं होती है, जिस कारण से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है. ऐसी परिस्थिति में सिर्फ एक ही विकल्प होता है कि गंभीर दुष्परिणामों से बचने के लिए तत्काल सर्जरी की जाए.

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