मुंबई में चेन स्नेचिंग के साल 2013 में 2090 मामले, 2014 में 1409, 2015 में 909, 2016 में 445, 2017 में 169 और 2018 में 171 मामले दर्ज किए
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राकेश त्रिवेदी/अमित त्रिपाठी, मुंबईः मायानगरी मुंबई की पुलिस को स्कॉटलैंड यार्ड की पुलिस के बराबार का दर्जा दिया जाता है, मतलब अपराधी कहीं पर भी छुपा हो कानून के लंबे हाथों से नहीं बच सकता हैं. लेकिन अब शायद वो बात नहीं रही. एक आरटीआई के जरिए ये बात सामने आई है कि मुंबई पुलिस पिछले 6 सालों में चेन स्नैचिंग (चेन छीनने) के सिर्फ 20 प्रतिशत मामलों को ही सुलझा पाई हैं. जानकारी के मुताबिक मुंबई पुलिस ने पिछले 6 साल में 5193 मामले दर्ज किए जिसमे चेन स्नैचरों ने 35 करोड़ रुपए से ज्यादा की चेन पर हाथ साफ किया. लेकिन पुलिस अब तक चेन स्नैचर से सिर्फ 6 करोड़ रुपए का ही माल रुपए का ही माल जब्त कर पाई है.
चेन स्नेचिंग के साल 2013 में 2090 मामले, 2014 में 1409, 2015 में 909, 2016 में 445, 2017 में 169 और 2018 में 171 मामले दर्ज किए. आकड़ों को देखकर पता चलता है कि साल दर साल चेन स्नैचिंग के मामलो में कमी आई है. मामलों में कमी आना ये तो बताता है कि पुलिस की कार्रवाई के कारण ऐसा हुआ. चेन स्नचिंग के कमी आने का सबसे बड़ कारण रहा मुंबई में ज्यादातर इलाकों में सीसीटीवी का लग जाना.
Chain Snatching by Naveen Kumar on Scribd
कैमरों की नजरों से ज्यादातर अपराधी छुप नहीं पाते और अगर वो किसी वारदात को अंजाम भी देते तो जल्द ही पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं. आरटीआई एक्टिवस्ट शकील अहमद का कहना है कि पुलिस ने चेन स्नैचिंग पर काफी हद तक रोक लगाई है लेकिन मामलो को तेजी से सुलझा नहीं पा रही हैं.
जानकारों का कहना है कि चेन स्नैचिंग की घटना को अंजाम ज्यादातर एक ही गुट से जुड़े लोग बार-बार करते है लेकिन सीसीटीवी मे कैद हो जाने के बाद वो पुलिस की पकड़ मे आ जाते है. फिर लंबे समय तक ऐसे लोगों की जमानत नहीं हो पाती, तो एक बड़ा कारण ये भी है चेन स्नैचिंग की घटना में कमी आई है. फिलहाल पुलिस बचे हुए मामलो को भी जल्द निपटाने की बात कह रही है क्योंकि चेन स्नैचिंग की घटना की शिकार ज्यादातर महिलाएं होती हैं ऐसे में उनकी सुरक्षा को भी लेकर सवाल खड़े होते है.