मुंबई: आखिर क्यों आंदोलन करने को मजबूर हुआ वाडिया हॉस्पिटल का स्टाफ?
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मुंबई: आखिर क्यों आंदोलन करने को मजबूर हुआ वाडिया हॉस्पिटल का स्टाफ?

हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि हॉस्पिटल को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसे कम से कम 110 करोड़ रुपए BMC से ग्रांट के तौर पर मिलने चाहिए जो कि नहीं मिल रहे हैं. 

फाइल फोटो

मुंबई: मुंबई (Mumbai) के वाडिया हॉस्पिटल का स्टाफ अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो गया है. दरअसल, अस्पताल को महाराष्ट्र सरकार और BMC की तरफ से ग्रांट के पैसे दिए जाते थे जो काफी समय से नहीं दिया गया. हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि आज की तारीख में हॉस्पिटल को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसे कम से कम 110 करोड़ रुपए BMC से ग्रांट के तौर पर मिलने चाहिए जो कि नहीं मिल रहे हैं. नतीजा यह है कि आज हॉस्पिटल में ना तो दवाइयां हैं और ना ही जरूरी उपकरण. 

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इस महीने कर्मचारियों को  तन्खवाह देने के लिए भी पैसे नहीं हैं. मजबूरन हॉस्पिटल प्रशासन अब नए बच्चों को एडमिट भी नहीं कर पा रहा है. गौर करने वाली बात ये है कि पिछले कई दशकों से BMC पर शिवसेना का कजा रहा है और साल 2014 से भी शिवसेना बीजेपी के साथ सत्ता में भी रही है और अभी भी शिवसेना के ही मुख्यमंत्री हैं.   

आपको कोटा के हॉस्पीटल में हुई अनदेखी की वजह से 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत का मामला तो याद ही होगा लेकिन अब ऐसे ही हालात मुंबई में भी बन चुके हैं. मुंबई के परेल इलाके में मौजूद वाडिया हॉस्पिटल जिसके दो भाग हैं एक हॉस्पिटल नव सरोजी वाडिया मैटरनिटी हॉस्पिटल है जबकि दूसरा चाइल्ड केयर हॉस्पिटल है. आजकल इन दोनों हॉस्पिटल के चाहे वो डॉक्टर हों या एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े हुए लोग हो या नर्सिंग स्टाफ सभी सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो गए हैं. इनका आरोप है की राज्य सरकार और बीएमसी से मिलने वाली ग्रांट यानी आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है यह हालात साल 2013-2014 से लगातार बने हुए हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों के मुताबिक वाडिया मैटरनिटी हॉस्पिटल का राज्य सरकार पर लगभग 113 करोड़ से भी ज्यादा का पैसा बकाया है. जबकि बीएमसी पर 31.44 करोड़ रुपए बकाया है. वहीं चिल्ड्रन हॉस्पिटल की बात करें तो इसका BMC पर करीब 105.9 करोड़ रूपये बकाया है. अब हॉस्पिटल प्रशसन ने बाकायदा हॉस्पिटल के अंदर एक नोटिस चिपकाकर आने वाले मरीजों को नया एडमिशन देने से मना कर दिया है. 

अस्पताल और प्रशासन के बीच समझौता
मैटरनिटी हॉस्पिटल एक ट्राई पार्टी समझौता है जो BMC, राज्य सरकार और वाडिया ट्रस्ट के बीच में हुआ था. जबकि चिल्ड्रन केयर हॉस्पिटल के लिए BMC और वाडिया ट्रस्ट के बीच में समझौता हुआ था. यह एग्रीमेंट साल 1926 में ग्रांट इन एड समझौते के तहत हुआ था. नियम कायदों के मुताबिक इन दोनों हॉस्पिटल का होने वाला खर्च का 50% हिस्सा राज्य सरकार को, जबकि 50% हिस्सा बीएमसी को देना होता है लेकिन लगातार साल 2012 के बाद से इस में अनियमितताएं रही हैं. 

अस्पताल का सालाना खर्च
मैटरनिटी हॉस्पिटल की सीईओ मिन्नी बोधनवाला ने बताया कि  चिल्ड्रन केयर हॉस्पिटल का सालाना खर्च लगभग 80 करोड़ आता है जबकि मैटरनिटी हॉस्पिटल का सालाना खर्च लगभग 50 करोड़ रूपये आता है. चिल्ड्रन हॉस्पिटल में कुल 525 बेड हैं जिनमें से 225 बेड ICU के हैं जबकि मैटरनिटी हॉस्पिटल में कुल 400 बेड हैं जिनमें से 75 बेड ICU के हैं. दोनों हॉस्पिटल का कुल मिलाकर करीब 1600 का स्टाफ है. चिल्ड्रन हॉस्पिटल में हर रोज करीब 650 OPD पेशेंट आते हैं जबकि 120 मरीजों को एडमिट किया जाता है. वहीं मैटरनिटी हॉस्पिटल में हर रोज 350 OPD मरीज आते हैं तो 50 से 60 मरीजों को एडमिट किया जाता है. ऐसे में साल 2013-14 से हर साल कुछ ना कुछ रकम BMC और राज्य सरकार की तरफ से बकाया रह जाती है जो अब कुल मिलाकर 250 करोड़ के आंकड़े को भी पार कर चुकी है. अब हॉस्पिटल प्रशासन इसी रकम को देने की  मांग कर रहा है.

राजनीति शुरू 
अब इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. बीजेपी और मनसे जैसी पार्टियां इस मामले में सीधे तौर पर शिवसेना को जिम्मेदार ठहरा रही है. इनका कहना है कि BMC पर कई दशकों से शिवसेना का ही कब्जा रहा है. पिछली सरकार में भी शिवसेना ही सत्ता में थी और अब भी शिवसेना का ही मुख्यमंत्री महाराष्ट्र में गद्दी पर बैठा हुआ है. 

शिवसेना का आरोप
जबकि शिवसेना का आरोप है की हॉस्पिटल प्रशसन में बहुत सी खामियां हैं. जहां 300 बेड की ही बात प्रशासन ने बताई लेकिन उसकी जगह 500 से ज्यादा बेड लगाए गए हैं. जिसकी जानकारी BMC और  राज्य सरकार को नहीं दी गई है. इसी वजह से इनकी आर्थिक सहयता को रोक दिया गया है. हालांकि हमने अभी हाल ही में 14 करोड़ का भुगतान कर दिया है और बाकि की रकम के लिए भी BMC मेयर और बाकि अधिकारियों से बात की जाएगी. वहीं कांग्रेस ये बात तो मानती है कि BMC में शिवसेना का कब्जा कई सालों से है लेकिन वो इसकी मुख्य जिम्मेदार पिछली बीजेपी राज्य सरकार को मानती है. 

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