गोदाम से बरामद NCERT की नकली किताबों की कीमत लगभग 35 करोड़ रुपये बताई जा रही है. पुलिस ने इस मामले में मेरठ से करीब एक दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है.
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मेरठ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ में एनसीईआरटी (NCERT) की करोड़ों रुपये की नकली किताबें बरामद होने के मामले में बीजेपी नेता संजीव गुप्ता और उनके भतीजे सचिन गुप्ता के खिलाफ यूपी एसटीएफ ने आईपीसी की 420, 467, 468 धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है. संजीव गुप्ता मेरठ महानगर में बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं. बीते शुक्रवार को पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त छापेमारी में बीजेपी नेता और उनके भतीजे के ठिकानों से 35 करोड़ रुपये की एनसीईआरटी की नकली किताबें बरामद हुई थीं.
इस बीच बीजेपी ने संजीव गुप्ता को पार्टी से निकाल दिया. मेरठ बीजेपी की तरफ से एक लेटर जारी करके कहा गया है कि संजीव गुप्ता के कारण पार्टी की छवि खराब हुई है. इस वजह से संजीव गुप्ता को सभी पदों से तत्काल प्रभाव ने निलंबित किया जाता है.
पुलिस ने इस मामले में मेरठ से करीब एक दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है. फिलहाल गोदाम का मालिक फरार है और उसकी तलाश में एसटीएफ की टीम अमरोहा से गजरौला तक लगातार रेड कर रही है. नकली किताबें छापने के आरोपी सचिन गुप्ता की फैक्ट्री पर एसटीएफ की टीम ने रेड की. हालांकि अब तक सचिन गुप्ता को पकड़ने में कामयाबी नहीं मिली है. उधर नकली किताबें सप्लाई करने के इस नेक्सस के उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक फैले होने की बात भी सामने आ रही हैं.
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इस बीच ज़ी मीडिया की टीम उस प्रिंटिंग प्रेस में पहुंची जहां पर NCERT की नकली किताबें छापी जा रही थीं. इस प्रिंटिंग प्रेस के बाहर सचिन गुप्ता के चाचा संजीव गुप्ता का पोस्टर लगा हुआ मिला. संजीव गुप्ता मेरठ महानगर के भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष हैं. मौके पर मौजूद गार्ड ने बताया कि ये प्रिंटिंग प्रेस संजीव गुप्ता की है.
गौरतलब है कि इस मामले में लगातार खुलासे हो रहे हैं और कई सफेदपोश बेनकाब हो रहे हैं. रेड के दौरान इस गोदाम से NCERT के सिलेबस की क्लास फर्स्ट से लेकर क्लास 12th तक की सभी किताबें बरामद हुईं. गोदाम पर रेड के बाद पूरे मेरठ में हड़कंप मचा हुआ है.
मेरठ के एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि गोदाम के अंदर से मिली किताबों की कीमत करीब 35 करोड़ रुपये है. फिलहाल गोदाम को जांच के लिए सील किया गया है. पुलिस किताबों की प्रिंटिंग वाली जगह पर भी पहुंची और यहां से 6 प्रिंटिंग मशीनें भी बरामद हुईं. मामले में करीब 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई है जबकि फरार मालिक की तलाश की जा रही है. यहां छापी जा रही किताबों को यूपी के अलावा उत्तराखंड, दिल्ली और आसपास के अन्य राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था.
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