ममता ने ट्विटर के माध्यम से कहा, "आज विश्व मानवता दिवस है. मानवाधिकार का सम्मान हमारे संविधान का मूल सिद्धांत है.
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व मानवता दिवस पर ट्वीट के माध्यम से कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मसौदे से वंचित रखे गए असम के 40 लाख लोगों के लिए उनके हृदय में सहानुभूति है. ममता ने ट्विटर के माध्यम से कहा, "आज विश्व मानवता दिवस है. मानवाधिकार का सम्मान हमारे संविधान का मूल सिद्धांत है. इस अवसर पर मेरे दिल में उन 40 लाख लोगों के लिए सहानुभूति है जिन्हें असम के एनआरसी में शामिल नहीं कर अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया गया है."
पूर्ण एनआरसी मसौदे को 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया जिसमें 2,89,677 लोगों के नाम हैं और 40,70,707 लोगों को मसौदे में शामिल होने के लिए अयोग्य ठहराते हुए इससे वंचित कर दिया गया है. 40,70,707 नामों में से 37,59,630 के दावों को अस्वीकार कर दिया गया है, जबकि 2,48,077 दावे लंबित हैं.
क्या है असम एनआरसी मामला
इसके अलावा असम के NRC मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि उसने NRC के ड्राफ्ट में जगह न पा सके लोगों के दावे और आपत्तियों के निपटारे की प्रक्रिया बना ली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसे रजिस्ट्री में जमा करवा दें.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने NRC के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि आपको महज ड्राफ्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी दी थी, लेकिन आपने मीडिया में गैरजिम्मेदाराना बयान दिए. आपका काम ड्राफ्ट तैयार करना है, मीडिया को ब्रीफ करना नहीं.
आप कौन होते है, मीडिया में बयान देने वाले कि 'किसी खास दस्तावेज' को नागरिकता के दावे की पुष्टि के लिए सही माना जायेगा या नहीं या फिर नए दस्तावेज दे.कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को भी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि आपने जो किया, वो अदालत की अवमानना के दायरे में आता है, क्या आपको जेल भेज दे. प्रतीक हजेला ने माफी मांगी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को सख्त हिदायत दी थी.
इनपुट आईएएनएस से भी