गुजरात के राजकोट से दिल को ठंडक देने वाली एक तस्वीर उभरकर सामने आई है.
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राजकोट: देशभर के कई शहरों में बढ़ती आबादी के बीच उनकी तुलना में पेड़ कम होते जा रहे हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक ग्लोबल वॉर्निंग के लिए निर्वनीकरण और शहरीकरण को जिम्मेवार मान रहे. एक तरफ शहरीकरण से हरियाली कम होती जा रही है तो वहीं दूसरी और गुजरात के राजकोट से दिल को ठंडक देने वाली एक तस्वीर उभरकर सामने आई है. गुजरात का राजकोट शहर यूं तो अपनी ऑटो इंडस्ट्रीज और आयल इंजन इंडस्ट्रीज़ के लिए जाना जाता है, लेकिन ओधोगिक विकास की दौड़ ने शहर की हवा को खूब प्रदूषित कर दिया है.
दिल्ली और अहमदाबाद की तुलना में राजकोट भी शुद्ध हवा के मामले में इतना पीछे नहीं है. लेकिन राजकोट के पास एक इलाके में ऑक्सीजन पार्क का निर्माण किया गया है जो वायु प्रदूषण को रोकने में एक नई पहल के रूप में देखा जा रहा है. एक एकड़ में फैले इस ऑक्सीजन पार्क में देढ़सो से अधिक प्रजाति के लगभग तीन हजार औषधीय पेड़ लगाए गए है. एक साल पहले शुरू किये गए निर्माणकार्य के बाद ये पार्क आज एक मिनी फॉरेस्ट का रूप ले चुका है.
भारत के दिल्ली, कोलकता ओर अहमदाबाद जैसे शहरों में सांस लेना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. इन शहरों में खुली हवा में एक घंटा सांस लेने का मतलब दस सिगारेट का धुआं अपने अंदर लेने के बराबर है. शहरों में पड़ने वाली ज़्यादा गर्मी की वजह लगातार पेड़ों का कम होना माना जा रहा है. तब राजकोट के इस पार्क के ज़रिए वहां बसने वाली कॉलोनियों को कम से कम तीन से चार डिग्री कम तापमान का अनुभव होगा, साथ ही शुद्ध हवा भी मिलेगी. यहा आने वाले लोग भी शहर के बाकी इलाकों से अच्छा वातावरण का अहेसास कर रहे हैं.
भारत के हर बड़े शहरों में खुली जगहों पर ऐसे ऑक्सीजन पार्क बनाये जाए तो ग्लोबल वॉर्मिंग की विश्व व्यापी समस्या से छुटकारा मिल शकता है. स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में जरूर सोचना चाहिए.