सामना में लिखा हैं कि - 'पुलवामा' हमले के संदर्भ में फालतू का बयान देकर पित्रोदा महाशय ने बेवजह विवाद का तूफान खुद पर ले लिया है.
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मुंबईः गांधी परिवार के करीबी कहे जाने वाले और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के पुलवामा हमले पर दिए बयान के बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में पित्रोदा पर जमकर निशाना साधा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा है कि पित्रोदा को सामना अखबार पढ़ना चाहिए. बता दें सैम पित्रोदा ने पुलवामा को लेकर बयान दिया था कि '8 लोगों की गलती के लिए पूरे पाकिस्तना को गलत ठहराना गलत है. किसी एक की गलती की सजा पूरे पाकिस्तान को नहीं देना चाहिए. पुलवामा जैसे हादसे होते रहते हैं. मुंबई में भी हुए थे, हम उस वक्त भी प्रतिक्रिया दे सकते थे और अपने विमान भेज सकते थे, लेकिन यह गलत होता. दुनिया के साथ डील करने का यह सही तरीका नहीं है.' उसी के बाद सामना ने उन्हे ये सलाह दी है.
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सामना में लिखा हैं कि - 'पुलवामा' हमले के संदर्भ में फालतू का बयान देकर पित्रोदा महाशय ने बेवजह विवाद का तूफान खुद पर ले लिया है. 'पुलवामा जैसे हमले होते ही रहते हैं. उसके लिए पाकिस्तान पर हवाई हमला करना गलत है.' ऐसा दिव्य विचार पित्रोदा ने व्यक्त किया है.' सामना में लिखा है पाकिस्तान अब देश नहीं रहा बल्कि वैश्विक आतंकवादियों का 'अड्डा' बन गया है. इस अड्डे को ध्वस्त कर हिंदुस्तान को सुरक्षित रखना ही हमारी सेना का कर्तव्य है. सेना के हवाई दल ने हमला किया. जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी अड्डा नष्ट किया. उसमें 300 से अधिक आतंकवादी मारे गए, ऐसा सरकार का कहना है.'
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पित्रोदा कहते हैं, 'भारतीय हवाई हमले के बारे में मैंने 'न्यूयॉर्क टाइम्स' और अन्य अखबारों में पढ़ा है. पाकिस्तान पर भारत ने सचमुच हमला किया था क्या ? 300 आतंकवादी सचमुच मारे गए क्या ? क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कह रही है कि हमले में कोई भी मारा नहीं गया है. इसलिए भारतीय नागरिक के रूप में मुझे यह खराब लगता है.' पित्रोदा को खराब लगने की जरूरत नहीं. पाक पर हुआ हमला जरूरी ही था. जरूरत पड़ी तो इससे बड़ा हमला करना पड़ेगा.'
सामना में आगे कहा गया है कि 'हिंदुस्तानी नागरिक के रूप में पाक पर हुए हमले का उन्हें अभिमान होना चाहिए. वे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया (इंटरनेशनल मीडिया) क्या कह रही है उसे न देखें. कल से पित्रोदा 'सामना' पढ़ना शुरू कर दें. उनके सिर पर और ठुड्डी की दाढ़ी पर लगे जाले अपने आप दूर हो जाएंगे. पुलवामा हमले का उन्हें दुख होगा जिसके कारण उनकी धमनियों का खून संताप के साथ उबलने लगेगा और हिंदुस्तानी सैनिकों द्वारा पाक पर किए गए हवाई हमले से उनका सीना तन जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को नजरअंदाज कर वे देसी मीडिया देखें. 'सामना' पढ़ना ही सबसे लाभकारी उपाय है.'