मुंबई में भी अब अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज होने लगी है
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मुंबई: एक तरफ जहां देश में अवैध बांग्लादेशियों को लेकर राजनीति गर्म है वहीं मुंबई में भी अब अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज होने लगी है. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मुंबई में रहने वाले बांग्लादेशियों को लेकर सर्वे किए जाने की मांग की है तो वहीं बीजेपी नेता राज पुरोहित ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चिट्ठी लिखकर गैर कानूनी ढंग से शहर में रहने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ ठोस कार्यवाही की मांग की है.
देश के हर हिस्से में लागू होना चाहिए एनआरसी: बीजेपी नेता
बीजेपी नेता राज पुरोहित ने बांग्लादेशियों पर अपनी राय रखते हुए जी मीडिया से कहा, "मुंबई के कई ऐसे हिस्से हैं जहां बांग्लादेशियों की बढ़त ने कई मुसीबतें खड़ी की हैं और इस पर अंकुश लगना चाहिए. मेरे ही चुनाव क्षेत्र कुलाबा के कई ऐसे इलाके हैं जहां बांग्लादेशियों की बहुलता मुसीबतों को आमंत्रित करती है. एनआरसी असम में ही नहीं मुंबई में, महाराष्ट्र में, देश के हर हिस्से में लागू होना चाहिए. क्योंकि जिस तरीके से बांग्लादेशी आते हैं और यहां छुप कर बैठ जाते हैं उन पर कोई कारवाई नहीं होती."
देश भर में होना चाहिए कॉम्बिंग ऑपरेशन: शिवसेना
गौरतलब है कि अवैध बांग्लादेशियों की समस्या मुंबई के लिए कोई नई बात नहीं है. तकरीबन दो दशक पहले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने भी अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी. जाहिर है मौजूदा राजनीतिक हालात में इस मुद्दे पर शिवसेना भी शामिल हो गई है. शिवसेना का भी कहना है कि अवैध बांग्लादेशी शहर के लिए बहुत बड़ा धोखा हैं और उन्हें तलाशने के लिए कॉम्बिंग ऑपरेशन भी जल्द ही शुरू किया जाना चाहिए. शिवसेना के एमएलसी अनंत तारे ने इसी मुद्दे पर जी मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "देश भर में कॉम्बिंग ऑपरेशन होना चाहिए, अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी देश के लिए खतरा हैं. जिस तरीके से उनके वोटर आई कार्ड बन रहे हैं और वो भारतीय प्रक्रिया में शरीक हो रहे हैं वो कभी भी खतरा कर सकते हैं. सांसद अरविन्द सावंत जी ने संसद में इस बात को उठाया भी था."
गैरकानूनी ढंग से रह रहे हैं बांग्लादेशी
मुंबई के कोलाबा, नागपाडा, भायखला, माहिम, बांद्रा, कुर्ला, मालवणी, ठाणे में मीरा रोड, नालासोपारा, भिवंडी, डोंबिवली, नवी मुंबई के कोपरी समेत अन्य इलाकों में अक्सर अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई की जाती है. लेकिन, इसके बावजूद खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इन इलाकों में अब भी बड़ी तादाद में बांग्लादेशी बिना किसी दस्तावेज के गैरकानूनी ढंग से रह रहे हैं. एक अंदाजे के मुताबिक मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई और पालघर समेत आसपास के इलाकों में तकरीबन 16 लाख अवैध बांग्लादेशी हैं. जबकि इनमें से तकरीबन 10 लाख बांग्लादेशी अकेले मुंबई में है. (हालांकि यह आंकड़े आधिकारिक नहीं है क्योंकि सरकार ने अब तक ऐसा कोई सर्वे नहीं किया है. यह महज कुछ नेताओं का अपना निजी आकलन है.) एक आंकड़े के मुताबिक इसी साल जनवरी से लेकर अब तक महाराष्ट्र सरकार ने 30 बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया है जो यहां बिना दस्तावेज के रह रहे थे.
Zee News ने किया था बड़ा खुलासा
इसी साल मार्च महीने में Zee News ने खुलासा किया था कि कैसे कुछ मुनाफाखोर चंद पैसों के लिए देश के साथ गद्दारी करते हैं और इन अवैध बांग्लादेशियों को फर्जी पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड जैसे अहम दस्तावेज बना करके देते हैं. महज 200 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक में यह सभी पहचान पत्र आसानी से बनवाए जा सकते हैं.
सपा नेता ने कहा बीजेपी सरकार मुसलमानों को निशाना बनाना चाहती है
यह भी अपने आप में एक बड़ी वजह है जिसके चलते एजेंसियों के लिए मुस्लिम या बंगाली लोगों में छिपकर रहने वाले अवैध बांग्लादेशियों को ढूंढ पाना मुश्किल होता है. लेकिन बावजूद इसके समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है और मुसलमानों को अपना निशाना बना रही है. सपा नेता ने कहा, "अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में बीजेपी सरकार मुसलमानों को अपना निशाना बनाना चाहती है."
कुछ पार्टियां कर रही हैं मौके को भुनाने की कोशिश
कुछ महीनों पहले महाराष्ट्र एटीएस द्वारा अवैध बांग्लादेशियों से शुरू की जांच का अंत आतंकी कनेक्शन के साथ हुआ था. महाराष्ट्र एटीएस ने मुंबई और नवी मुंबई के कई इलाकों से बांग्लादेशी आतंकी संगठन अंसरुल्ला बांग्ला टीम से जुड़े कई संदिग्धों की गिरफ्तारी भी की थी जो देश में बड़े हमले की योजना बना रहे थे. इन तमाम तथ्यों को ध्यान में रखकर एक तरफ जहां केंद्र सरकार घुसपैठियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने पर विचार कर रही है तो वहीं कुछ पार्टियां इस मौके को राजनीति के लिए भुनाने पर आमादा हैं.
(संजय सिंह और राजीव रंजन के साथ राकेश त्रिवेदी की रिपोर्ट)