Pulwama attack: आज भी छलक पड़ते हैं शहीद बबलू सांतरा की मां की आंखों से आंसू
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Pulwama attack: आज भी छलक पड़ते हैं शहीद बबलू सांतरा की मां की आंखों से आंसू

हावड़ा जिले से शहीद बबलू सांतरा (Bablu Santara) उसी काफिले में थे, जिस पर आतंकवादियों ने हमला किया था.

सरकार की तरफ से पैसा, नौकरी सब कुछ मिला है, लेकिन कमी केवल उनके घर के चिराग की आज भी खल रही है.

हावड़ा: पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा (Pulwama) में आतंकी हमले हुए. इस हमले में 40 से ज्यादा सीआरपीएफ (CRPF) जवान शहीद हो गए थे. उसी में से दो शहीद जवान पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले और नदिया जिले से थे. हावड़ा जिले से शहीद बबलू सांतरा (Bablu Santara) उसी काफिले में थे, जिस पर आतंकवादियों ने हमला किया था. पुलवामा की घटना के एक साल कल यानि 14 फरवरी को पूरे हो जाएंगे. आज भी बबलू सांतरा के परिवार वाले 14 फरवरी को मिलने वाले उस दुखद संवाद को याद करके भावुक हो जाते हैं और आज भी उस पल को भूला नहीं पाए हैं. वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन शहीद बबलू सांतरा का परिवार की हालत आज भी नहीं बदली. 

सरकार की तरफ से मिली आर्थिक मदद
सरकार की तरफ से पैसा, नौकरी सब कुछ मिला है, लेकिन कमी केवल उनके घर के चिराग की आज भी खल रही है और शायद इसकी कभी भी भरपाई नहीं होगी और इसी वजह से बबलू सांतरा की मां के आंसू आज भी नहीं रुक रहे हैं. घर के पास बबलू सांतरा की याद में एक मूर्ति तैयार की गई है, जो आज भी वीर योद्धा की तरह अपना सर ऊंचा करके अपनी कुर्बानी याद दिला रहा है. नहीं है तो केवल इस मूर्ति में जान और न केवल इस गांव के लोग बल्कि भारत के सभी देशवासी आज शहीदों के परिवार का सामने नतमस्तक होकर सम्मान देते है. 

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जिस मां ने इस शहीद को जन्म दिया था वही, मां अपने सीने में एक दर्द लिए जी रही है, लेकिन उसके साथ साथ अपने बेटे पर गर्व भी महसूस कर रही हैं, जिसने देश के लिए बलिदान दिया. सरकार की तरफ से मिले आर्थिक मदद से बबलू सांतरा का परिवार खुश है और शहीद की पत्नी को एक सरकारी नौकरी भी दी गई है. अपने जिस कच्चे मकान को पक्का करने की शुरुवात बबलू ने की थी वो आज पूरा हो चूका है लेकिन बबलू की कमी कभी भी पूरी नहीं हो सकती.

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