पंजाब में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए तैयारी शुरू, किए हैं कड़े इंतजाम
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पंजाब में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए तैयारी शुरू, किए हैं कड़े इंतजाम

पंजाब (Punjab) में धान की फसल की कटाई एक अक्टूबर से शुरू होने जा रही है. धान की कटाई (Paddy crop) के साथ ही पराली जलाए जाने के मामले भी सामने आने लगते हैं जो वातावरण (environment) से लेकर स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को पैदा कर देते हैं. 

(फाइल फोटो)

चंडीगढ़: इस वक्त खेतों में धान की फसल (Paddy crop) तैयार हो रही है तो दूसरी तरफ पंजाब सरकार (Punjab Government) ने पराली जलाने की समस्या पर इस बार काबू पाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. सरकार ने दावा किया है कि पराली को खेत में ही समायोजित करने के लिए करीब साठ हजार मशीनें किसानों को दी गई है. इसके इलावा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के तहत खेतों में पराली जलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जाएगी. मगर अधिक ध्यान फिलहाल किसानों को पराली ना जलाने के लिए जागरूक करने पर दिया जा रहा है. श्री गुरुनानक देव को समर्पित इस साल में सरकार किसानों से उम्मीद कर रही है कि वे गुरु नानक देव की शिक्षाओं को मानते हुए पर्यावरण का भी ध्यान रखेंगे.

पंजाब (Punjab) में धान की फसल की कटाई एक अक्टूबर से शुरू होने जा रही है. धान की कटाई के साथ ही पराली जलाए जाने के मामले भी सामने आने लगते हैं जो वातावरण (environment) से लेकर स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को पैदा कर देते हैं. लेकिन, इस साल इस समस्या पर बेहतर ढंग से काबू पाने के लिए पंजाब में सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. तंदरुस्त पंजाब मिशन की कमान संभाल रहे और कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी काहन सिंह पन्नू (Kahan Singh Pannu) ने दावा किया है कि पराली को खेतों में ही समायोजित करने के लिए किसानों को करीब साठ हजार मशीनें उपलब्ध करवाई गई हैं. इनमें से अठ्ठाइस हजार मशीनें इस साल दी गई हैं. किसानों के ग्रुप्स को 80 फीसदी सब्सिडी (subsidy) के साथ यह मशीनें दी गई हैं. जबकि निजी तौर पर किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी के साथ मशीनें दी गई हैं. इस साल किसानों के करीब पांच हजार ग्रुप्स ने यह मशीनें ली हैं. जबकि पिछले साल करीब पंद्रह सौ ग्रुप्स ने यह मशीनें ली थीं.

काहन सिंह पन्नू ने बताया है कि पिछले साल सरकार ने किसानों को पराली को खेत में समायोजित करने के लिए करीब 28000 हजार मशीनें उपलब्ध करवाई थीं मगर इसके बावजूद भी करीब पच्चास फीसदी किसान पराली को खेतों में समायोजित नहीं कर पाए थे. लेकिन, इस बार क्यूंकि पराली को खेतों में समायोजित करने वाली मशीनों की संख्या भी दोगुना बढ़ गई है और यह साल श्री गुरुनानक देव जी को समर्पित होने के नाते भी सरकार किसानों से उम्मीद कर रही है कि वो गुरु महाराज की पर्यावरण संबंधी सोच का सम्मान करते हुए पराली को आग लगाने से गुरेज करेंगे.

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काहन सिंह पन्नू के मुताबिक सरकार ने किसानों को इस संबंध में जागरुक करने के लिए जागरुकता कार्यक्रम (Awareness program) शुरू कर दिए हैं जिसमें किसानों के अलावा, इस बार स्कूली बच्चों, एनएसएस कैडेट्स, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं का सहयोग भी लिया जा रहा है. हालांकि सरकार इस बार पराली जलाने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा दी गई हिदायतों की पालना ना करने वालों पर भी कड़ा शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है. काहन सिंह पन्नू के मुताबिक नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए ढाई हजार रुपये से लेकर पंद्रह हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. नियमों की पालना पर नजर रखने के लिए टीमों का गठन किया गया है और स्टेलाइट से भी पराली जलाने के मामलों की निगरानी की जाएगी. पंजाब में सख्ती करते हुए इस बार बिना सुपर एसएमएस लगी कोई कंबाइन धान की फसल की कटाई के लिए इस्तेमाल करने पर पाबंदी रहेगी.

बहरहाल पंजाब में इस बार 29 हेक्टयर में जमीन में धान की फसल पैदा की गई है और करीब दो करोड़ टन पराली पंजाब में हर साल निकलती है. अधिकतर किसान खेतों में धान की कटाई कंबाइन मशीनों से करने लगे हैं जिसके बाद बचे वेस्ट को किसान आग के हवाले कर देते हैं. इससे ना केवल वातावरण दूषित हो जाता है बल्कि स्वास्थ्य पर भी बुरे प्रभाव पड़ते हैं. पिछले कई सालों से दिल्ली में धान की फसल की कटाई के समय जो धुंध का गुबार बना उसके लिए दिल्ली सरकार ने सीधे तौर पर पंजाब और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों को भी इसलिए जिम्मेवार ठहराया था क्योंकि यहां किसान पराली को खेतों में आग के हवाले कर देते हैं. फिलहाल सरकार द्वारा एहतियात के तौर पर किये जा रहे यह इंतजाम इस समस्या पर इस बार कितना काबू कर पाएंगे यह अभी देखना होगा.

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