जम्‍मू-कश्‍मीर: राज्‍यपाल का न्‍योता राहुल ने कबूल किया, लेकिन हेलीकॉप्‍टर की पेशकश ठुकराई
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जम्‍मू-कश्‍मीर: राज्‍यपाल का न्‍योता राहुल ने कबूल किया, लेकिन हेलीकॉप्‍टर की पेशकश ठुकराई

राहुल गांधी ने कश्‍मीर में हिंसा की आशंका व्‍यक्‍त की थी. इस पर जम्‍मू-कश्‍मीर के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने उनको और विपक्षी नेताओं को सूबे के हालात को देखने के लिए आमंत्रित किया था.

जम्‍मू-कश्‍मीर: राज्‍यपाल का न्‍योता राहुल ने कबूल किया, लेकिन हेलीकॉप्‍टर की पेशकश ठुकराई

नई दिल्‍ली: अनुच्‍छेद 370 हटने के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों में असंतोष की बात कहने वाले राहुल गांधी वहां का दौरा करेंगे. इससे पहले राहुल गांधी ने कश्‍मीर में हिंसा की आशंका व्‍यक्‍त की थी. इस पर जम्‍मू-कश्‍मीर के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने उनको और विपक्षी नेताओं को सूबे के हालात को देखने के लिए आमंत्रित किया था. राज्‍यपाल ने कहा था कि कश्‍मीर के हालात एकदम शांत हैं और वहां पर कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है. राज्‍यपाल ने ये तक कहा था कि कश्‍मीर के अमन-चैन को देखने के लिए यदि राहुल गांधी आना चाहें तो वह हेलीकॉप्‍टर भेजने तक को तैयार हैं.

उसी पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा, ''राज्‍यपाल महोदय, मैं और विपक्षी नेताओं का डेलीगेशन आपके अनुरोध पर जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख आएंगे. हमें किसी हेलीकॉप्‍टर की जरूरत नहीं है लेकिन कृपया यह सुनिश्चित कीजिए कि हम स्‍वतंत्रतापूर्वक वहां की यात्रा कर सकें और मुख्‍यधारा के नेताओं के साथ स्‍थानीय नागरिकों और वहां तैनात सैनिकों से मिल सकें.''

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इसी बीच सूबे से जुड़े एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंध हटाने के बारे में तत्काल कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यह मामला बेहद संवेदनशील है. सरकार को सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए. कोर्ट प्रशासन के हर मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार रोजाना स्थिति का जायजा ले रही है और ऐसे में स्थिति सामान्य होने का इंतजार किया जाए. अगर ऐसा ही रहा तो आप बाद में बताइयेगा हम तब मामले को देखेंगे. फि‍लहाल सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाल दी गई है.

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सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि हम स्थिति का रोजाना रिव्यू कर रहे हैं और मानवाधिकार का कोई हनन नहीं हो रहा.

दरअसल, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद राज्य में प्रतिबंध और कर्फ्यू हटाए जाने तथा संचार सेवा बहाल करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने AG कोर्ट ने पूछा और कितने दिन जम्मू-कश्मीर में पाबंदी रहने वाली है? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार पल-पल की परिस्थिति पर नजर रखे हुए है. 2016 में इसी तरह की स्थिति को सामान्य होने में 3 महीने का समय लगा था. सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द स्थिति पर काबू पाया जा सके.

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कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए. साथ ही उससे पूछा कि आज ढील दी गई और वहां कुछ हो जाता है तो कौन जिम्मेदारी लेगा? इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंध हटाने के बारे में तत्काल कोई भी आदेश देने से इनकार किया. सरकार ने कहा कि हम स्थिति का रोजाना रिव्‍यू कर रहे हैं और मानवाधिकार का कोई हनन नहीं हो रहा है.

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