राजस्थान: नवरात्रि शुरू होते ही भद्रकाली मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा तांता
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राजस्थान: नवरात्रि शुरू होते ही भद्रकाली मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा तांता

मां भद्रकाली के इस मंदिर में प्रतिवर्ष बड़ा मेला लगता है और इसमें दूरदराज के राज्यों से श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं. मुगल शैली में निर्मित इस मंदिर की व्यवस्था की जिम्मेदारी देवस्थान विभाग की है 

मां भद्रकाली के इस मंदिर में प्रतिवर्ष बड़ा मेला लगता है और इसमें दूरदराज से श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं.

मनीष शर्मा, हनुमानगढ़: नवरात्रों की शुरुआत के साथ ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है. हनुमानगढ़ टाऊन के पास वर्तमान घग्घर नदी और विलुप्त सरस्वती नदी को किनारे स्थित मां भद्रकाली के मंदिर का अपना ऐतिहासिक महत्व है. किवदंतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था. 

एक बार मुगल बादशाह अकबर अपनी सेना के साथ इधर से गुजर रहा था कि उसको भूख-प्यास लगी तब उसको मां भद्रकाली ने दर्शन देकर पूरी सेना की भूख-प्यास मिटाई जिसके उपरांत अकबर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार मुख्य मूर्ति के पीछे लगी मूर्ति ही वो मूर्ति है जिसे मुगल शासक ने निर्माण के बाद मंदिर में स्थापित करवाया था.

मां भद्रकाली के इस मंदिर में प्रतिवर्ष बड़ा मेला लगता है और इसमें दूरदराज के राज्यों से श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं. मुगल शैली में निर्मित इस मंदिर की व्यवस्था की जिम्मेदारी देवस्थान विभाग की है और विभाग को इस मंदिर से प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आय होती है. मुगल शैली से निर्मित यह मंदिर सम्भवतः उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि माता के इस प्राचीन मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

विलुप्त सरस्वती नदी और वर्तमान की घग्घर नदी के किनारे स्थित मां भद्रकाली के इस मंदिर में दूरदराज के राज्यों के श्रद्धालुओं तक की विशेष आस्था है और सालभर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. नवरात्रों में हनुमानगढ़ जिले में पल्लू के मां ब्राह्मणी मंदिर और मां भद्रकाली का यह मंदिर जिले के श्रद्धालुओं की आस्था का विशेष केंद्र रहता है.

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