दीपोत्सव के पांचवे दिन मंगलवार को सौभाग्य और आयुष्मान योग के मंगलकारी संयोग पर भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाईदूज मनाया गया. बहनों ने भाई को तिलक लगाकर भाई की लंबी उम्र की कामना की.
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जयपुर: पांच दिवसीय दीपोत्सव का मंगलवार को भैया दूज मनाने के साथ हर्षोल्लास श्रद्धा से समापन हुआ. पांच दिन तक दीपदान, रोशनी, लक्ष्मी पूजन, अन्नकूट, भाईदूज और एक दूसरे को दीपावली की बधाई देकर मुहं मीठा कराने का दौर चला. शहर रोशनी के इस त्यौहार में पांचों दिन डूबा रहा. कपड़े, मिठाई, मिट्टी के दीयों, लाइटों की दुकानों से लोगों ने जमकर खरीदारी की.
पांचों दिन बड़ों के साथ बच्चों ने भी त्यौहार का ख़ूब आनंद उठाया. कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली पारंपरिक ढंग से उत्साह के साथ मनाई गई. अमावस्या की अंधेरी रात रविवार को देहरी पर जगमगाते दीपों से रोशन हुई और हस्त-चित्रा नक्षत्र के मंगलकारी संयोग में महालक्ष्मी पूजन कर सुख-समृद्धि और वैभव की कामना की गई. इस प्रकार धनतेरस से शुरू हुए दीपोत्सव पर्व का मंगलवार को भाई दूज के साथ समापन हुआ.
पर्व के प्रमुख शुभ मुहूर्त में घर, दुकानों और कार्य-स्थलों के साथ घर-घर पूजन का सिलसिला देर रात तक चला. शाम ढलते ही घर की देहरी पर दीपक और आंगन रंगोली से सजाए गए. साथ ही आकर्षक आतिशबाजी भी हुई जो देर रात्रि तक चलती रही. पांच दिवसीय दिवाली पर्व के चौथे दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या के संयोग पर गोवर्धन पूजा की गई.
दीपोत्सव के पांचवे दिन मंगलवार को सौभाग्य और आयुष्मान योग के मंगलकारी संयोग पर भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाईदूज मनाया गया. बहनों ने भाई को तिलक लगाकर भाई की लंबी उम्र की कामना की. इस दिन बहनों को सौभाग्य प्रदान करने वाला सौभाग्य और भाई को लंबी उम्र देने वाला आयुष्मान योग भी रहा. बहनों ने भाइयों की दीर्घायु के लिए भैया दूज का पूजन किया और भाइयों को तिलक लगाया. बदले में भाईयों ने बहनों को आकर्षक उपहार दिए. बहनें भैय्या दूज की तैयारी में सुबह से लगी रहीं. वहीं दिनभर बहनों का अपने मायके आने का सिलसिला जारी रहा. सोशल साइट्स पर भी बधाई का ख़ूब क्रेज देखा गया.
बहरहाल, पांच दिनों से लगातार परिवार के सभी सदस्य एक साथ रहे. उनके रिश्तों में नवीनता आयी. गीले शिकवे दूर हुए. परिवार के बुजुर्गों को यथोचित सम्मान मिला. परिवार में किसी एक सदस्य को कोई परेशानी हैं, तो बाकी सदस्यों ने उस परेशानी में उसकी सहायता की जिससे उनमे आपसी स्नेह बढ़ा. इस प्रकार से वर्ष में एक बार पूरे कुटुम्ब के रिश्तों में नवीन ऊर्जा का संचार हो गया. अलग अलग क्षेत्रो से अनुभव रखने वाले सदस्यों के एक साथ बैठने से उनके अनुभव का लाभ सभी को मिला.