हाईटेक होगी राजस्थान पुलिस, बढ़ते क्राइम पर अब नकेल कसने की तैयारी
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हाईटेक होगी राजस्थान पुलिस, बढ़ते क्राइम पर अब नकेल कसने की तैयारी

पुलिस मोर्डनाइज़ेशन के तहत मिले 38 करोड़ में से साढ़े चौदह करोड़ रुपए महज क्राइम प्रिवेंशन एंड साइंटिफिक इन्वेस्टीगेशन पर खर्च करने का फैसला लिया है

हाईटेक होगी राजस्थान पुलिस, बढ़ते क्राइम पर अब नकेल कसने की तैयारी

विष्णु शर्मा, जयपुर: प्रदेश में बढ़ते क्राइम पर अब नकेल कसने की तैयारी की जा रही है. राजस्थान पुलिस प्रदेश में क्राइम कंट्रोल पर पूरा फोकस कर रही है. यही कारण है कि पुलिस मोर्डनाइज़ेशन के तहत मिले 38 करोड़ में से साढ़े चौदह करोड़ रुपए महज क्राइम प्रिवेंशन एंड साइंटिफिक इन्वेस्टीगेशन पर खर्च करने का फैसला लिया है. क्राइम कंट्रोल के साथ ही सड़क सुरक्षा, डिजास्टर मैनेजमेंट पर भी पुलिस विषेश ध्यान देने जा रही है.

राजस्थान पुलिस को हर साल केंद्रीय गृहमंत्रालय से पुलिस मोर्डनाइज़ेशन स्कीम के तहत करोड़ाें का बजट जारी होता है. पुलिस के कायापलट के लिए मिलने वाले बजट में 60 प्रतिशत राशि केंद्र तथा 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य का होता है. वर्ष 2019-20 के लिए योजना के तहत केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 37 करोड़ 99 लाख 17 हजार रुपए की स्वीकृति दी है. इसमें मंत्रालय ने 22 करोड़ 79 लाख 50 हजार केंद्रीय अंश तथा 15 करोड़ 19 लाख 67 हजार राज्य अंशदान शामिल है. मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद राज्य के वित्त विभाग ने पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है. इसके बाद गृह विभाग से बजट के प्रशासनिक एवं वित्तीय आदेश जारी किए जा रहे हैं. अब बजट को पुलिस के अलग-अलग खंडों के विकास पर खर्च किया जाएगा. पुलिस ने अपना सबसे ज्यादा फोकस क्राइम कंट्रोल पर रखा है. क्राइम कंट्रोल और केसों की वैज्ञानिक जांच लिए पुलिस साढ़े चौदह करोड़ के उपकरण खरीदेगी. इनमें संदिग्ध अपराधियों के वाहनों में लगाने के लिए जीपीएस सिस्टम, कानून व्यवस्था की ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए हेलमेट विद कैमरा, इन्वेस्टीगेशन किट के साथ ही अन्य जरूरी उपकरण खरीदे जाएंगे.

क्राइम प्रिवेंशन एवं साइंटिफिक इन्वेस्टीगेशन उपकरणों पर ख़र्च होने वाली राशी

- 135 ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम - 27 लाख
- 262 डॉट क्नीडर - 125.76 लाख
- 223 डेसीबल मीटर - 312.20 लाख
- 400 डिजीटल कैमरा - 120 लाख
- 10 डिजीटल वॉयस लोगर- 13 लाख
- 300 जीपीएस डिवाइस- 45 लाख
- 200 हेलमेट विद कैमरा - 60 लाख
- 1436 हाईडेंसिटी सर्च लाइट - 157.96 लाख
- 136 इन्वेस्टीगेशन किट - 34 लाख
- 20 पब्लिक एड्रेस सिस्टम- 9 लाख
- 28 नोट बुक - 19 लाख
   कुल 1435.77 लाख

सिक्युरिटी एंड सर्विलांस पर 206 लाख होंगे खर्च 
- 250 डीएमएफडी - 50 लाख
- 18 मल्टी जोन डीएफएमडी- 16.20 लाख
- 20 एमएलवी सर्विलांस सिस्टम - 15 लाख
- 3 स्पेशलाइज्ड केनाइन वेन- 36 लाख
- 1 रेडिएशन मीटर- 10 लाख
- 600 हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर- 30 लाख

कानून व्यवस्था पर ख़र्च होंगे 285.07 लाख
- 3455 एफआरपी हेलमेट - 34.55 लाख
- 2353 पॉली कार्बोनेट लाठी- 11.77 लाख
- 2181 पॉलीकार्बोनेट शील्ड - 43.62 लाख
- 1042 फुल बॉडी प्रोटेक्टर सेट- 93.78 लाख

कम्प्यूनिकेशन अपग्रेडेशन पर 357.12 लाख होंगे ख़र्च
- 1 डिजीटल कम्यूनिकेशन - 252.12 लाख
- 7 रेंज पर माेबाइल वर्कशॉप- 105 लाख

एफएसएल उपकरण पर 237.75 लाख होंगे ख़र्च
- 10 डिजीटल कैमरा - 12.50 लाख
- 1 हाई स्पीड इमेजिन डिवाइस- 10 लाख
- 1 एल्कोलीजर डेनसीटोमीटर- 40 लाख
- 1 स्पेक्ट्रल कम्परेटर- 85 लाख

भ्रष्टाचार पर कंट्रोल 180 लाख होंगे ख़र्च
- 1 एस्टाबलिशमेंट ऑफ स्पीच टू टेक्सट इंजिन सॉफ्टवेयर- 180 लाख

रोड सेफ्टी और ट्रैफिक पर 130.25 लाख होंगे ख़र्च
- 85 बॉडी वॉर्म केमरा विद सॉफ्टवेयर- 34 लाख
- 275 ब्रीथ एनेलाइजर- 96.25 लाख

आतंकवाद, संगठित और साइबर अपराध कंट्रोल पर ख़र्च होंगे 552.97 लाख
- मोबाइल इन्वेस्टीगेशन वेन, टीयर गेस मास्क आदि उपकरण

क्राइम कंट्रोल के साथ-साथ पुलिस सुरक्षा, यातायात व्यवस्था तथा भ्रष्टाचारियों को भी टारगेट करेगी. आतंकी धमकियों के मद्देनज़र प्रमुख जगहों या सार्वजनिक कार्यक्रमों पर तलाशी के लिए डीएमएफडी और हैंड मेटल डिटेक्टर ख़रीदे जाएंगे. वहीं कानून व्यवस्था मेनटेन करने के लिए हज़ारों की तादाद में हेलमेट और लाठी की खरीदी की जाएंगी. वहीं पुलिस के संचार सिस्टम को भी अपग्रेड किया जाएगा. एफएसएल जांच को बेहतर और वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा ताकि सबूत होने के बावजूद भी अपराधी बचकर न निकल सकें. सड़क सुरक्षा का ध्यान रखा गया है जिसमें शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर नकेल कसने के लिए ब्रीथ एनेलाइजर ख़रीदे जाएंगे, वहीं बॉडी वॉर्म कैमरे खरीेदे जाएंगे.

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