जयपुर: निकाय चुनाव में कांग्रेस सरकार के हाइब्रिड फार्मूले को लागू करने को लेकर सरकार के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है. खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को सुझाव दिया है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए. रमेश मीणा ने कहा कि इस फार्मूले के लागू होने से पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी है.
इस फार्मूले के तहत चुनाव जीत कर आने वाले पार्षदों को उनके हक से वंचित रखा जाएगा जो कि गलत है. इसे कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष बढ़ेगा और कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनत का सम्मान भी नहीं मिल पाएगा. रमेश मीणा ने कहा कि इस बारे में कैबिनेट मीटिंग में भी विस्तार से चर्चा नहीं हुई और ना ही सरकार के मंत्रियों से सुझाव लिए गए हैं. लिहाजा इस फार्मूले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.
सरकार ने जो प्रत्यक्ष प्रणाली के नियम को बदलकर पार्षदों के जरिए ही सभापति नजर चुनने का फैसला किया था. वह स्वागत योग्य था. उससे कार्यकर्ताओं में खुशी थी और बरसों से पार्टी के लिए मेहनत कर रहे पार्षदों के मन में एक उम्मीद थी कि वे अब नगर निकाय प्रमुख सभापति या महापौर बन सकेंगे लेकिन इस फैसले के बाद आप ऊपर से कोई नेता अगर ठोक दिया जाएगा तो उसका सम्मान चुने हुए जीत कर आने वाले पार्षद नहीं कर पाएंगे.
रमेश मीणा ने कहा है कि वह अपनी भावना से मंत्री शांति धारीवाल को अवगत करवाएंगे और उनसे फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए आग्रह करेंगे. गौरतलब है कि राजस्थान के निकाय चुनाव में राज्य सरकार हाइब्रिड फार्मूले को लागू करने जा रही है. इस फार्मूले के तहत सरकार पार्षदों का बहुमत आने के बाद किसी भी नेता को अध्यक्ष सभापति या मेयर बना सकती है. उसके बाद उसे तय समय के भीतर चुनाव लड़कर जीतना होगा.