जिले में करीब 35 मीसा और डीआइआर बंदियों को मिल रही पेंशन व मेडिकल की सुविधाओं को बंद कर दिया गया है. ये 35 वो लोग है. जिन्होंने 1975 में लगे आपातकाल के दौरान विरोध जताया था
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चूरू: गहलोत सरकार द्वारा मीसाबंदियों के पेंशन बंद करने पर मीसाबंदियों ने सरकार से सवाल किया है. कि निर्णय लेने से पहले एक बार मीसाबंदियों के घर की अवस्था को देख लेना चाहिए था. मीसा बंदी माधव शर्मा के मुताबिक आपातकाल के बाद वापस घर लौटे उनको तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा, जानकारों ने उनसे मुंह फेर लिया था. कोई मदद के लिए तैयार नहीं हुआ था. बच्चों को पढ़ाई लिखाई के लिए रिश्तेदारों के पास में भेजना पड़ा था. आज पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं. अभी तक पेंशन के जरिए पेट भर रहा था. लेकिन सरकार ने उसे भी बंद कर परेशानियों को बढ़ा दिया है.
जानकारी के अनुसार जिले में करीब 35 मीसा और डीआइआर बंदियों को मिल रही पेंशन व मेडिकल की सुविधाओं को बंद कर दिया गया है. ये 35 वो लोग है. जिन्होंने 1975 में लगे आपातकाल के दौरान विरोध जताया था. अब सरकार द्वारा बंद की गई पेंशन के बाद, मीसा बंदियों ने सरकार के निर्णय को गलत करार दिया है.
दरअसल मीसाबंदियों को 2015 में पेंशन के तौर पर 12 हजार रुपए व 1200 रुपए मेडिकल के तौर पर दिए जाते थे. वर्तमान में बीस हजार पेंशन व चार हजार मेडिकल के थे. जिसे सरकार ने बंद करने का फैसला किया है.