Lockdown में पूर्व मंत्री फिर से बने टीचर, पैतृक गांव में बच्चों को दे रहे शिक्षा
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Lockdown में पूर्व मंत्री फिर से बने टीचर, पैतृक गांव में बच्चों को दे रहे शिक्षा

पूर्व मानव संसाधन राज्यमंत्री अब राजनीति की जगह गांव के छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

बच्चों को पढ़ाते हुए उपेन्द्र कुशवाहा.

वैशाली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के संकट के समय राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा अपने पुराने रूप में फिर से लौट आए हैं. वे अब राजनीति की जगह गांव के छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ा रहे हैं. कुशवाहा बिहार में वैशाली जिले के जंदाहा गांव में अपने पैतृक घर पर बच्चों को शिक्षा दे रहें है. बच्चों को पढ़ाते वक्त और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया जा रहा है.

  1. उपेंद्र कुशवाहा राजनीति की अपनी शुरुआत करने से पहले शिक्षक थे
  2. ऑनलाइन पढ़ने के लिए बच्चों के पास मोबाइल नहीं- उपेंद्र कुशवाहा
  3. लॉकडाउन के दौरान बच्चों को बुलाकर पढ़ा रहा हूं- उपेंद्र कुशवाहा

उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि जब से लॉकडाउन हुआ है तब से बच्चों की पढ़ाई बाधित है. उनके घर के आस-पास के बच्चे गरीब परिवार से आते हैं, सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति जग जाहिर है. स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई ज्यादा दिन तक बाधित रहेगी तो बच्चों की प्रगति नहीं होगी क्योंकि इन बच्चों के यहां स्मार्ट फोन नहीं है कि ऑनलाइन पढ़ सकेंगे इसीलिए लॉकडाउन के दौरान बच्चों को बुलाकर पढ़ा रहा हूं. 

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बता दें कि कुशवाहा राजनीति की अपनी शुरुआत करने से पहले शिक्षक थे. 1986 में वह अपने पैतृक गांव के पास ही एम. एस. एम. समता कॉलेज में शिक्षक बने और उसके बाद राजनीति में आए. साल 1995 में पहली बार चुनाव लड़े और हार गए. फिर 2000 के विधानसभा चुनाव में चुनाव जीते और विधान सभा में नेता विपक्ष बने. इसके बाद 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार में मानव संसाधन राज्यमंत्री बने और अब इस लॉकडाउन में फिर से शिक्षक की भूमिका में हैं.

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