अधिकारियों की उपेक्षा और उदासीनता से परेशान हो चुके ग्रामीणों ने अब इसे चुनावी मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है और लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने की धमकी दी है.
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शिमला: हिमाचल प्रदेश के एक गांव की निवासी 83 वर्षीय कौशल्या देवी के पैर के आपरेशन का मौका आया तब उन्हें खाट पर गांव के बाहर सड़क मार्ग पर ले जाया गया और इसके बाद एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में लाहरू टिका गांव के निवासी सड़क मार्ग तक पहुंचने के लिए पिछले कई दशकों से तकरीबन दो सौ मीटर लंबी एक कच्ची पगडंडी का इस्तेमाल कर हैं. यह पगडंडी महज तीन फुट चौड़ी है. कौशल्या देवी के रिश्तेदार विपिन कुमार ने दावा किया कि लाहरू टीका के 300 निवासी दो दशकों से अधिक वक्त से उचित सड़क बनाने की अपनी मांग उठा रहे है लेकिन उसे दबा दिया जाता है.
अधिकारियों की उपेक्षा और उदासीनता से परेशान हो चुके ग्रामीणों ने अब इसे चुनावी मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है और लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने की धमकी दी है. लोकसभा चुनावों के बहिष्कार करने का आह्वान करने वाले बैनर गांव के चारों तरफ दिखाई देने लगे हैं, ऐसे ही एक बैनर में लिखा है, ‘‘रोड नहीं तो वोट नहीं’.
लाहरू टिका गांव कांगडा संसदीय क्षेत्र के सुल्लाह विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. जब कांगडा से भाजपा के उम्मीदवार किशन कपूर और सल्लाह के विधायक विपिन सिंह परमार का काफिला अपने समर्थकों के साथ दो अप्रैल को नजदीक की सड़क मार्ग से गुजरा था तब ग्रामीणों ने नारेबाजी की थी.
कुमार ने पूछा, ‘‘(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी डिजिटल इंडिया की बात करते हैं लेकिन गांव को सड़क मार्ग से जोड़े बिना डिजिटल इंडिया को कैसे पाया जा सकता है जबकि हम 21वीं सदी में है. ’’ इस संबंध में विधायक परमार ने बताया, ‘‘ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार के अपनी मांग को दोहराया जब हमारा काफिला गांव के पास से गुजर रहा था. ’’
उन्होंने बताया, ‘‘वास्तव में सरकार के पास सड़क निर्माण के लिए कोई जमीन नहीं है और निजी भूमि के मालिक अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं है.’’