राजस्थान: टोल के मुद्दे पर सरकार को घेरेगी बीजेपी, कल पूरे प्रदेश में देगी धरना
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राजस्थान: टोल के मुद्दे पर सरकार को घेरेगी बीजेपी, कल पूरे प्रदेश में देगी धरना

टोल के मुद्दे पर बीजेपी गहलोत सरकार के विरोध में पूरे प्रदेश में धरना देने जा रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

जयपुर: भारतीय जनता पार्टी(Bhartiya Janta Party) के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया(Satish poonia) ने कांग्रेस(Congress) पर आरोप लगाते हुये कहा कि बीजेपी की सरकार ने जनता की मांग पर स्टेट हाईवे पर लगने वाले टोल(Toll on Satte Highway) को माफ किया था, लेकिन जनविरोधी गहलोत सरकार(Gehlot Government) ने पुनः टोल प्रारम्भ कर राज्य की जनता पर वित्तीय भार डाल दिया.

पूनियां ने कहा कि एक बड़ा वित्तीय भार छोटे वाहनों पर पड़ता था और समय भी खराब होता था. इसे देखते हुए बीजेपी सरकार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे(Vasundhra Raje) के नेतृत्व में राज्य की हजारों कि.मी. हाईवे पर टोल को राज्य की जनता की मांग पर माफ किया था, उस टोल को राज्य की कांग्रेस सरकार(Congress Government) ने पुनः चालू कर राज्य की जनता से विश्वासघात कर दीपावली का जो तोहफा दिया है, उसका भारतीय जनता पार्टी पुरजोर विरोध करती है.

पूनियां ने कहा कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने यह कहते हुये कि इससे हमे तीन सौ करोड़ की आय होगी और इससे हमे सड़कों के रख-रखाव करेंगे. जबकि जब बीजेपी की सरकार थी तब ऐतिहासिक रूप से सड़कें बनी थीं. बीजेपी की सरकार लगभग 18 वर्षों तक रहीं और करीब 64 हजार कि.मी. सड़कें बनी और उनका रख-रखाव भी हुआ.

पूनियां ने कहा कि कांग्रेस सरकार शुरूआती दिनों से ही भ्रम की स्थिति में है. हर निर्णय में सरकार के भीतर दो राय दिखती है. इनमें आपस में ही यह नहीं मालूम रहता कि यह निर्णय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के या उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट के कहने से हो रहा है. हमने राजस्थान की जनता पर वित्तीय भार कम करने के लिये पेट्रोल-डीजल पर 4 प्रतिशत वेट कम किया था, लेकिन कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने पुनः पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाकर जनता से विश्वासघात किया और इसके विरोध में पेट्रोल पम्प बन्द रहें.

राजस्थान की जनता एवं बीजेपी कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुरूप आज इस निर्णय के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी 1 नवंबर (शुक्रवार) को सुबह 11.00 बजे से दोपहर 01.00 बजे तक सभी जिला मुख्यालयों पर पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ता धरना देगें एवं जिलाधीश को ज्ञापन देकर सरकार से आग्रह करेंगे कि सरकार इस जनविरोधी निर्णय पर पुनः विचार करें.

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