डिप्टी सीएम के गृह क्षेत्र में स्थित इस टीबी अस्पताल के हालात इतने बदहाल है कि यहां पर कार्मिक हर समय मौत के साए में काम करने को मजबूर है.
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टोंक: राजस्थान के टोंक जिले का टीबी अस्पताल राम भरोसे चल रहा है. अस्पताल का पूरा भवन पूरी तरह से जीर्ण-शीर्ण हो चुका है. अस्पताल की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है. मरीज अस्पताल में अपनी जान हथेली में लेकर इलाज करवाने आते है. अस्पताल की छतों से सीमेंट की परते टूटकर कभी-कभी मरीजों पर भी गिर जाती है. जिससे हादसों का खतरा बना रहता है. वहीं, दवा काउंटर पर जाने के लिए भी कीचड़ से भरे रास्ते से होकर मरीजों को जाना पड़ता है. कई बार मरीजों का सापों से भी सामना हो जाता है.
डिप्टी सीएम के गृह क्षेत्र में स्थित इस टीबी अस्पताल के हालात इतने बदहाल है कि यहां पर कार्मिक हर समय मौत के साए में काम करने को मजबूर है. वहीं, कार्मिकों को 6 महीने से वेतन भी नहीं मिल रहा है. जिससे अस्पताल में काम कर रहे कर्मचारी कर्ज़ा लेकर परिवार का खर्च चलाने को मजबूर हो चुके है.
बता दें कि, कार्मिकों ने कई बार अपनी समस्याओं से अस्पताल प्रशासन को अवगत करवाया है. लेकिन कोई समाधान इन समस्याओं का निकलता हुआ नज़र नहीं आ रहा है. कई बार कर्मचारियों की ओर से आपनी मांगों को लेकर विरोध भी दर्ज करवाया गया है लेकिन अधिकारी इन समस्याओं को अनसुना कर रहे है.
गौरलतब है कि केंद्र और प्रदेश सरकार टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए अस्पताल में योजनाओं के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है. लेकिन डिप्टी सीएम के गृह क्षेत्र में टीबी अस्पताल की ऐसी हालत टीबी को जड़ खत्म करने के सरकारी प्रयासों की कलई खोल रही है.