स्कूलों की किताबों से भी साफ हो जाएगा 'टीपू सुल्तान' का इतिहास, येदियुरप्पा सरकार कर रही है विचार
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स्कूलों की किताबों से भी साफ हो जाएगा 'टीपू सुल्तान' का इतिहास, येदियुरप्पा सरकार कर रही है विचार

बीजेपी विधायक अपाचु राजन ने कहा था कि टीपू सुल्तान से जुड़े पाठ में 'गलत जानकारी' दी गई है.  

फाइल फोटो

बेंगलुरु: कर्नाटक की सियासत में एक बार फिर टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) को लेकर एक बार फिर सियासी चर्चा जारी है. कर्नाटक की बीजेपी सरकार अब पाठ्य पुस्तकों में से टीपू सुल्तान से जुड़े सभी पाठ हटाने के बारे में विचार कर रही है. कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) कहना है कि वह नहीं मानते कि टीपू सुल्तान स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने कहा, ' हमारी सरकार स्कूलों की किताबों से टीपू सुल्तान से जुड़े पाठ को हटाने के बारे में सोच रही है. इतिहास की किताबों में टीपू सुल्तान से जुड़े पाठों में टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी बताया गया है, मैं नहीं मानता कि टीपू सुल्तान स्वतंत्रता सेनानी थे.'

बता दें कि हाल ही में बीजेपी विधायक अपाचु राजन ने कहा था कि टीपू सुल्तान से जुड़े पाठ में 'गलत जानकारी' दी गई है.  

गौरतलब है कि इसी साल जुलाई महीने कर्नाटक में सत्‍ता संभालते ही येदियुरप्‍पा सरकार ने फैसला लेते हुए कन्‍नड़ और संस्‍कृति विभाग को टीपू सुल्‍तान जयंती नहीं मनाने का आदेश दिया था. 30 जुलाई को हुई कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्‍पा कहा था कि कुछ विधायकों ने टीपू सुल्तान जयंती पर एक अनुरोध प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा कि टीपू जयंती के दौरान बीते वर्षों में हुई घटनाओं का विश्लेषण करने के बाद हमने यह फैसला लिया है. येदियुरप्‍पा ने कहा था कि विचार-विमर्श के बाद ही टीपू सुल्तान की जयंती न मनाने का फैसला कैबिनेट ने लिया है.

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वहीं, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था, 'मैंने टीपू जयंती समारोह को शुरू किया था. मेरी नजर में टीपू सुल्‍तान पहला स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी था. उन्‍होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. बीजेपी के लोग सेक्‍युलर नहीं है. हमें उम्मीद थी कि बीजेपी आएगी तो ये फैसला रद्द करेगी. हम इसका विरोध करेंगे. अभी कोई कैबिनेट में नहीं है. मुख्‍यमंत्री अकेले हैं और इस तरह का फैसला लिया है. ये सवाल रोशन बेग से भी पूछा जाना चाहिए, जो कांग्रेस से पलटी मार के बीजेपी में गए हैं.'

कौन है टीपू सुल्तान
10 नवंबर वर्ष 1750 में मैसूर के शासक, टीपू सुल्तान का जन्म हुआ था. टीपू सुल्तान का पूरा नाम फतेह अली टीपू था. उसका जन्म 10 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनहल्ली में हुआ था. ये जगह आज कर्नाटक की राजधानी बैंगलुरू में है. वर्ष 1782 के दिसंबर महीने में टीपू सुल्तान, अपने पिता हैदर अली की जगह मैसूर के तख्त पर बैठा था. तब उसकी उम्र 32 वर्ष थी.

टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली ने चार बार अंग्रेज़ों से युद्ध किया था. पहला युद्ध वर्ष 1767 से 1769 के बीच, दूसरा युद्ध 1780 से 1784 के बीच, तीसरा युद्ध 1790 से 1792 के बीच हुआ. और चौथा और आखिरी निर्णायक युद्ध.. वर्ष 1799 में हुआ था. इस युद्ध के दौरान 4 मई 1799 को टीपू सुल्तान को अंग्रेज़ों ने मार दिया था.

टीपू सुल्तान को किसने बताया देशभक्त
आज़ादी के बाद मान्यता प्राप्त इतिहासकारों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ युद्ध के आधार पर टीपू सुल्तान को महान देशभक्त बताने की कोशिश की. लेकिन इन इतिहासकारों ने बहुत चालाकी से टीपू सुल्तान के अत्याचारों को छुपा लिया. और इन्हें जनता के सामने नहीं आने दिया. इतिहासकार और बुद्धिजीवी देश को भ्रमित करने में एक तरह से सफल हो गए थे.

टीपू सुल्तान को अपनी तलवार बहुत प्रिय थी. उसकी तलवार के मुठ्ठे (Handle) पर एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश लिखा हुआ था, जिसे पढ़कर आप टीपू सुल्तान के चरित्र के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं. इस्टेफेनिया वेंगर (Estefania Wenger) नाम के एक विद्वान ने टीपू सुल्तान के जीवन पर एक किताब लिखी है... जिसका शीर्षक है, 'टीपू सुल्तान: ए बायोग्राफी' इस किताब में टीपू सुल्तान की धार्मिक नीति पर एक अध्याय लिखा गया है.  

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अंग्रेज़ अधिकारी Marquess वैलैस्ली के सामने टीपू सुल्तान की जिस तलवार को पेश किया गया उसके handle पर लिखा था. "मेरी विजयी तलवार अ-विश्वासियों के विनाश के लिए बिजली है और उसने अ-विश्वासियों की दुष्ट जाति को नष्ट कर दिया है" ये टीपू सुल्तान की तलवार पर लिखी पहली तीन लाइनों का अनुवाद है. यहां समझने वाली बात ये है कि इस बात पर इतिहासकारों में विवाद है कि टीपू सुल्तान ने किसे अ-विश्वासी कहा है और वो कौन से लोग हैं जिनके लिए टीपू सुल्तान की तलवार बिजली के समान है.

18वीं शताब्दी के टीपू सुल्तान का चरित्र 21वीं शताब्दी में ISIS के आतंकवादी अबू बक्र अल बगदादी के समान दिखाई देता है. बगदादी ने भी पूरी निष्पक्षता के साथ.. कोई भेदभाव किए बिना, यज़ीदियों, ईसाईयों और हिंदुओं का कत्ल किया. बगदादी ने उन मुसलमानों को भी नहीं बख्शा, जो उसके मुताबिक सच्चे मुसलमान नहीं थे.

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ठीक इसी तरह टीपू सुल्तान ने भी हिंदुओं और ईसाईयों का नरसंहार करवाया. कुछ इतिहासकारों की नज़र में टीपू सुल्तान एक महान देशभक्त हो सकता है लेकिन टीपू सुल्तान के जीवन की घटनाएं ये बताती हैं कि वो एक देशभक्त से ज़्यादा एक धर्मांध और कट्टरपंथी व्यक्ति था

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