JOBS: राजस्थान के URBAN कॉपरेटिव बैंकों में जल्द आने वाली हैं भर्तियां
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JOBS: राजस्थान के URBAN कॉपरेटिव बैंकों में जल्द आने वाली हैं भर्तियां

 प्रदेश के अरबन सहकारी बैंकों(Urban Coperative Banks) के रिक्त पदों(Vacant Posts) पर सहकारी भर्ती बोर्ड(Co-operative recruitment board) के माध्यम से भर्ती करवा कर रिक्त पदों को भरा जाएगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर

जयपुर: प्रदेश के अरबन सहकारी बैंकों(Urban Coperative Banks) के रिक्त पदों(Vacant Posts) पर सहकारी भर्ती बोर्ड(Co-operative recruitment board) के माध्यम से भर्ती करवा कर रिक्त पदों को भरा जाएगा. इसके लिए सभी बैंकों को 15 दिनों में रिक्त पदों की सूचनाएं सहकारिता विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश मिला है. 

अधिकारी करेंगे निरीक्षण, सौपेंगे रिपोर्ट
इसके अलावा सहकारिता विभाग(Co-Operative Department) के उप-रजिस्ट्रार जिले में कार्यरत अरबन सहकारी बैंकों और नागरिक बैंकों का वर्ष में 3 बार निरीक्षण करेगा. जिसके बाद उसकी रिपोर्ट विभाग को भिजवाएगा.

जमा पूंजी जनता की प्रतिभूति
रजिस्ट्रार नीरज के पवन ने सहकारी भवन में बैठक की. बैठक में अफसरों को निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में कार्यरत समस्त अरबन को-ऑपरेटिव बैंक एवं नागरिक सहकारी बैंक के पास जमा पूंजी जनता की प्रतिभूति है और जनता ने विश्वास के साथ यहां पैसे जमा कराया है. लोगों का विश्वास बना रहे यह हम सबका दायित्व है. 

निरीक्षण के प्रयाप्त संसाधनों का है अभाव
उन्होंने कहा कि उक्त संस्थाएं बैंकिग अथॉरिटी के नियमान्तर्गत है. किन्तु आरबीआई(RBI) के पास इनके निरीक्षण हेतु पर्याप्त संसाधन नही है. को-ऑपरेटिव एक्ट के अधीन पंजीकृत होने के कारण इनके सुचारू संचालन एवं इनमे जमा प्रतिभूतियों की सुरक्षा का दायित्व सहकारिता विभाग का है. 

विभागीय अंकेक्षक करे ऑडिट
उन्होंने उक्त बैंकों का ऑडिट विभागीय अंकेक्षकों से कराया जाने पर जोर दिया. साथ ही उन्होंने ऑडिट हेतु रिकार्ड उपलब्ध न कराने वाली यूसीबी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की चेतावनी दी.

सावधानी बरतने पर दिया जोर
रजिस्ट्रार देश में कार्यरत अनेक यूसीबी के कटु अनुभवो के संदर्भ में कहा कि राज्य में कार्यरत उक्त प्रकार की संस्थाओं के विषय में अतिरिक्त सावधानी पर जोर दिया जाना आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि किसी संस्था का डूबना एक दिन में होने वाली घटना नही है. हमें ऐसे अलार्म बनाने होगे जिनसे बीमारी का समय पर पता चले और यथासमय निदान संभव हो सके. इसके लिए उन्होंने पांच अलार्म लोन देने में सावधानी, वसूली में गम्भीरता, एनपीए की स्थिति पर नजर, यथासमय ऑडिट और निरीक्षण का भी जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि बैंकों के सुचारू संचालन के लिए वसूली को ध्यान में रखते हुए लोन देते समय सावधानी एवं जोखिम पूर्ण निवेश नहीं करना जैसे दो सूत्रों पर विशेष जोर दिया जाना आवश्यक है.

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