मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने वाले भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते : तस्लीमा
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मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने वाले भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते : तस्लीमा

मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने की घटनाओं पर शनिवार को प्रतिक्रिया जताते हुए बांग्लादेश की विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि लोग अपनी भावना पर काबू नहीं रख पाते हैं.

मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने की घटनाओं पर बांग्लादेश की विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने प्रतिक्रिया दी. (फाइल फोटो

नई दिल्ली: मूर्तियों को क्षतिग्रस्त करने की घटनाओं पर शनिवार को प्रतिक्रिया जताते हुए बांग्लादेश की विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि लोग अपनी भावना पर काबू नहीं रख पाते हैं. साथ ही उन्होंने जोर दिया कि हारे हुए पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए और ऐसा मध्य यु्ग में होता था. रीडर्स डाइजेस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने त्रिपुरा में वाम विचारक व्लादिमीर लेनिन की प्रतिमाओं को गिराने की घटनाओं के संदर्भ में यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र है और मध्य युग का युद्ध नहीं है, जिसमें जीतने वाला हारे हुए पक्षों के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट करता था.

  1. हारे हुए पक्ष को नहीं बनाया जाना चाहिए निशाना- तस्लीमा

    यह लोकतंत्र है और मध्य युग का युद्ध नहीं है- तस्लीमा

    लेनिन को पसंद न करने वाले उनकी विचारधारा को न माने- तस्लीमा

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हारा पक्ष सिर्फ आपका राजनीतिक प्रतिद्वंदी
कार्यक्रम के बाद उन्होंने ट्वीट कर देश में मूर्तियां क्षतिग्रस्त किए जाने की अन्य घटनाओं का भी जिक्र किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 'लेनिन, पेरियार, अंबेडकर, बोस की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया गया है. लोग अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाते. चिंता नहीं कीजिए. मूर्तियां फिर से लग जाएंगी.' उन्होंने कहा कि वह उस दौर की बात है, जिसे हम अंधा युग कहते हैं, यह आधुनिक समय है. अगर कोई पक्ष हार गया तो वह आपका शत्रु नहीं है. वह सिर्फ आपका राजनीतिक प्रतिद्वंदी है. उन्होंने कहा कि अगर कोई लेनिन को पसंद नहीं करता है तो वह उनकी विचारधारा को नहीं माने, लेकिन उनकी मूर्तियां तोड़ने की कोई जरूरत नहीं है.

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