नई दिल्ली: शराब सेहत के लिए हानिकारक है ये तो हम सब जानते हैं और हम ये अपील भी करते हैं कि लोग शराब का सेवन ना करें. लेकिन जब Zee News की टीम बिहार में शराबबंदी की पड़ताल करने के लिए पटना पहुंची तो एक अलग ही नजारा सामने आया. आपको बता दें कि Zee News की टीम ने बिहार में शराब बंदी को पोल खोलने के लिए एक स्टिंग ऑपरेशन किया है. इस ऑपरेशन में खुलासा हुआ कि शराब खरीदने वालों के लिए बिहार में पाबंदी मायने नहीं रखती है.


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CM नीतीश के बिहार में शराब पर कैसी सख्ती? 


बिहार विधानसभा परिसर में शराब की खाली बोतलें मिलने के बाद नीतीश कुमार सख्त हैं. बिहार को शराब मुक्त बनाने की सौगंध उठा चुके नीतीश कुमार ने ऐलान किया है कि जिस भी थाना क्षेत्र में शराब मिलेगी वहां के थाना प्रभारी, SSP, SP पर भी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि इस सख्ति का खास असर बिहार में ज्यादा दिख नहीं रहा है.


स्टिंग ऑपरेशन में हुआ खुलासा


सरकार की इतनी सख्ती के बाद हमें लग रहा था कि पटना में शराब तक पहुंचना हमारे लिए नामुमिकन होगा, लेकिन हमारी कोशिश थी कि सच सामने आए और इसीलिए ऑपरेशन पटना की शुरूआत के लिए हमने सबसे पहले बिहार की राजधानी पटना को ही चुना. हमारे अंडरकवर रिपोर्टर ने पटना के गली मोहल्लों में पड़ताल की. हमारे पास किसी सप्लायर का नंबर नहीं था. हम बिल्कुल अंजान थे, चौक चौराहों पर हमने पान की दुकान, रिक्शा चालक, ऑटो चालकों को टारगेट किया. उम्मीद के मुताबिक ही शुरुआत में सबने सख्ती की बात कहते हुए शराब दिलाने से मना कर दिया.


'काम हो जाएगा'


स्टिंग ऑपरेशन करने वाली टीम को लगा कि पड़ताल अधूरी रह जाएगी, लेकिन कोशिश जारी थी. इसी बीच हमें एक ऑटोवाला मिला. हमने बताया कि हम दिल्ली से पटना एक शादी में आए हैं और किसी भी कीमत हम शराब खरीदना चाहते हैं. ऑटो वाले ने थोड़ी देर पड़ताल की फिर जैसे ही उसे ये पता चला कि हम पटना एक नामी होटल में ठहरे हैं वो शराब दिलाने को तैयार हो गया. ऑटो चालक ने एक सप्लायर को फोन किया और उसने हमें भरोसा दिलाया कि काम हो जाएगा. ऑटो वाले ने पटना की गलियों में कुछ देर तक घुमाने के बाद हमें न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी में लाकर छोड़ दिया और गाड़ी में ही इंतजार करने को कहा. 


दिया तले अंधेरा!


आपको बता दें न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी पटना का एक पॉश इलाका है. इस जगह से मुख्यमंत्री निवास सिर्फ 2.5 किलोमीटर दूर है. यहां से बिहार विधानसभा की दूरी भी 10 मिनट से ज्यादा नहीं है. पुलिस लाइन करीब 1.5 किलोमीटर दूर है और यहां से पुलिस हेडक्वॉर्टर की दूरी सिर्फ 2.5 किलोमीटर है. न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी में बिहार पुलिस डिपार्टमेंट के कई आला अधिकारियों का निवास स्थान है और इसी कॉलोनी में टीम को करीब 2 घंटे इंतजार करना पड़ा. लेकिन इस इंतजार का फल अच्छा रहा और थोड़ी देर में ही ये साफ हो गया कि ये सच है, अचानक टीम की कार के शीशे पर किसी ने नॉक किया और जब कार का दरवाजा खुला तो हम चौंक गए क्योंकि हमारे सामने जो लड़का आया उसकी उम्र 13-14 साल से ज्यादा नहीं थी.


जानें नाबालिग सप्लायर ने क्या कहा..


सप्लायर- अभिषेक भैया नाम है.


रिपोर्टर- मेरा....


सप्लायर- हां


रिपोर्टर- हां हां...


सप्लायर- दारू मंगवाए थे..


रिपोर्टर- हां.. भेजे हैं क्या


सप्लायर- हां


रिपोर्टर- दिखाओ. कितना एक भेजा है


सप्लायर-  नहीं चार लाए हैं.


रिपोर्टर- दिखाना चारों.. ये तो लोकल लग रहा है जी..


सप्लायर- नहीं यही है भैया..


रिपोर्टर- लोकल लग रहा है


सप्लायर- यही है भैया... बहुत मुश्किल से मिल रहा है.


रिपोर्टर- और भी है


सप्लायर- हां चार लाए हैं.


रिपोर्टर- दिखाओ दिखाओ, कितना पैसा मांगा है


सप्लायर- दो हजार


रिपोर्टर - क्या


सप्लायर- दो हजार


सप्लायर ने हमारे सामने शराब के चार टेट्रा पैक रख दिए, एक की कीमत 500 रुपये बताई गई. यानी मार्केट रेट से कई गुना ज्यादा. हम यहां सिर्फ शराब के अवैध कारोबार को बेनकाब करना चाहते थे. हमारा मकसद ना तो शराब पीने का था और ना ही शराब खरीदने का. इसलिए हमने सप्लायर से ब्रांड और पूरी बोतल ना होने का बहाना बनाया.


रिपोर्टर - यह तो लोकल लग रहा है.


सप्लायर- यही है


रिपोर्टर- यही मिल रहा है? हम यह थोड़ी मांगे थे ये तो लोकल है


सप्लायर- यही है, लेना है ?


रिपोर्टर- नहीं हम तो बोतल वाला मांगे थे बढ़िया शराब


सप्लायर- बोतल नहीं मिला.. बोतल नहीं


रिपोर्टर- बोतल नहीं मिल रहा है? क्यों ... कितना दो हजार रुपये बोला है ... पांच सौ का एक...


सप्लायर- हां ....


रिपोर्टर- कुछ ज्यादा नहीं है. कहां का माल है ... इस पर लिखा हुआ है कम पैसा ... जी  रेट... नहीं यार रख लो ये नहीं चाहिए हमको...


सप्लायर- नहीं लेना है...


रिपोर्टर- नहीं नहीं यह नहीं...


सप्लायर- ठीक...


रिपोर्टर- क्या


सप्लायर- ठीक है नहीं लेंगे न...


रिपोर्टर- ये तो हम लोग बोतल वाला मांगे थे ना...


सप्लायर- बोतल वाला नहीं भेंटता (मिलता) है...अब


रिपोर्टर- नहीं भेटता है.. क्यों ... तो तुम ही सप्लाई करते हो उनका माल...


सप्लायर- हां... जा रहे है भैया...


हमें लगा कि सप्लायर हमसे शराब खरीदने की जिद करेगा, जोखिम उठाकर ये नाबालिग लड़का हम तक शराब लेकर पहुंचा था वो भी पटना की एक पॉश कॉलोनी में तो डील ना होने पर हो सकता था कि वो नाराजगी जताता. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. हमने बहाना बनाकर शराब खरीदने से मना कर दिया. ये नाबिलग सप्लायर चलता हूं भैया कहकर वहां से निकल गया. हमारे सामने बिहार में शराबबंदी की सच्चाई बताकर बिल्कुल बेखौफ, बेपरवाह होकर नाबालिग लड़का वहां से चला गया.


नशे की गिरफ्त में बिहार


बिहार में नशे का ये पाताल लोक कितना गहरा है वो हमारी पड़ताल बता रही है, आम बातचीत के दौरान हमें ये पता चला कि यहां युवा और बच्चे भी शराब की सप्लाई कर रहे हैं और डिलीवरी की दूरी के हिसाब से शराब तस्कर उन्हें पैसे देते हैं. यानी नशे का ये काला कारोबार युवाओं और बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले चुका है.