नारदा स्टिंग केस में तृणमूल कांग्रेस के 4 नेताओं को हाउस अरेस्ट करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन आज कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद एजेंसी ने अपनी अपील को वापस ले लिया है.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है. इसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के तीन नेताओं सहित चार लोगों को नारदा रिश्वत मामले (Narada Case) में घर में ही नजरबंद रखने की अनुमति दी थी.
जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बी.आर. गवई की हॉलीडे बेंच ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि कलकत्ता हाई कोर्ट के 5 जजों की पीठ नारदा रिश्वत मामले की सुनवाई कर रही है. इसने सीबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को अपनी अपील वापस लेने और सभी शिकायतों को हाई कोर्ट में उठाने की अनुमति दे दी. पीठ ने कहा, ‘हमने मामले के गुण-दोष पर कोई विचार व्यक्त नहीं किया है और मामले में हमारी टिप्पणियां हमारे विचारों को प्रदर्शित नहीं करती हैं.’ पश्चिम बंगाल और नेता भी हाई कोर्ट के समक्ष अपने मुद्दों को उठाने के लिए स्वतंत्र हैं.
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गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने 21 मई को पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों, एक विधायक और कोलकाता के पूर्व महापौर को जेल से हटाकर उनके घरों में ही नजरबंद करने के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट के 5 न्यायाधीशों की पीठ ने 24 मई को मामले में सुनवाई की और मामले में सुनवाई स्थगित करने के CBI के आग्रह से इनकार कर दिया. नारदा स्टिंग टेप मामले में पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हाकिम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व महापौर शोभन चटर्जी को सीबीआई ने पिछले सोमवार को गिरफ्तार किया था. हाई कोर्ट के 2017 के एक आदेश पर एजेंसी मामले की जांच कर रही है.
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