सरकार से सुप्रीम कोर्ट का सवाल: पर्यावरण संरक्षण कोष का कैसे हो रहा उपयोग
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सरकार से सुप्रीम कोर्ट का सवाल: पर्यावरण संरक्षण कोष का कैसे हो रहा उपयोग

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये बनाये गये विभिन्न कोष में रखे करीब 75 हजार करोड़ रुपये का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा पर्यावरण संरक्षण कोष का इस्तेमाल कैसे हो रहा है. (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (14 मार्च) को केंद्र सरकार से जानना चाहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये बनाये गये विभिन्न कोष में रखे करीब 75 हजार करोड़ रुपये का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि कोष में जमा इतनी बड़ी धनराशि बदलाव लाने के लिये पर्याप्त है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि यह धनराशि 'कम' नहीं है. 

  1. सुप्रीम कोर्ट ने जानना चाहा पर्यावरण संरक्षण कोष का इस्तेमाल किस तरह से हो रहा है
  2. पर्यावरण संरक्षण कोष में धनराशि करीब 70 से 75 हजार करोड़ रुपये है
  3. कोर्ट ने पर्यावरण हर्जाना शुल्क के अंतर्गत एकत्र राशि के बारे में भी जानकारी मांगी है

पीठ ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को निर्देश दिया कि इस धनराशि की स्थिति बताए. साथ ही यह भी जानना चाहा कि क्या इस धन का इस्तेमाल पर्यावरण सरंक्षण, पुनर्वास और नागरिकों के कल्याण के लिये हो रहा है. शीर्ष अदालत ने पर्यावरण संरक्षण कोष के मामले पर स्वत: ही सुनवाई की और रजिस्ट्री से कहा कि इसे स्वत: संज्ञान श्रेणी के मामले में पंजीकृत किया जाये.

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पीठ ने कहा कि इस तरह के दस से 12 कोष हैं जिनका सृजन पर्यावरण मामलों में शीर्ष अदालत के आदेशों पर हुआ है और हमारे समक्ष रखी गई जानकारी के अनुसार उनमें रखी धनराशि 70 से 75 हजार करोड़ रुपये है. पीठ ने सवाल किया, 'आप क्या कर रहे हैं? इस न्यायालय के आदेशों के तहत इतने सारे कोष सृजित किये गये हैं. ये कौन से कोष हैं और इनमें कितनी राशि है?' 

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पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि उसे शीघ्र ही वस्तु स्थिति से अवगत कराया जायेगा. उन्होंने कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा वित्त मंत्रालय के बीच क्षतिपूरक वनीकरण कोष के प्रबंधन और नियोजन प्राधिकरण के बारे में बैठक होने वाली है. इस पर पीठ ने जानना चाहा, 'आप इस धनराशि का क्या करना चाहते हैं? हम छोटी धनराशि के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. हम सत्तर हजार करोड़ रुपये के बारे में बात कर रहे हैं. यदि इस धनराशि का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिये किया गया तो यह बदलाव लाएगा.' 

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न्यायालय ने पर्यावरण हर्जाना शुल्क के अंतर्गत एकत्र राशि के बारे में भी जानकारी मांगी है जिसे शीर्ष अदालत ने टोल टैक्स के अतिरिक्त राजधानी में प्रवेश करने वाले व्यावसायिक वाहनों पर लगाया था. पीठ ने कहा, 'हम इन कोष के उपयोग के बारे में इसे स्वत: ही दर्ज करेंगे. हम चाहेंगे कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय यह बताये कि इन कोष में कितना धन हैं . हम इसकी जानकारी चाहते हैं.' पीठ ने कहा, 'तदनुसार हम पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को निर्देश देते हैं कि देश भर में बनाये गये इस तरह के कोष में 31 मार्च, 2018 की स्थिति के अनुसार जमा धनराशि की स्थिति से अवगत कराया जाये.' पीठ ने न्याय मित्र से कहा कि वह इस संबंध में स्वतंत्र रूप से अपना काम करें.

इस मामले में अब अप्रैल के प्रथम सप्ताह में आगे विचार किया जायेगा. न्यायालय ने कई राज्यों में गैरकानूनी तरीके से हो रहे खनन सहित पर्यावरण से संबंधित अनेक मुद्दों की सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठने पर यह आदेश दिया.

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