महिलाओं के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि अगर घर ससुराल वालों द्वारा किराए पर लिया गया हो या उनका हो और पति का इस पर कोई अधिकार नहीं है तो भी बहू को बाहर नहीं निकाला जा सकता है.
नई दिल्ली: घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) के तहत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस फैसले का उद्देश्य बहू का ससुराल में अधिकार सुनिश्चित करना है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि ‘बहू को आश्रित ससुराल में रहने का अधिकार है. बहू को पति या परिवार के सदस्यों द्वारा साझा घर से निकाला नहीं जा सकता है.’ सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर यह घर ससुराल वालों द्वारा किराए पर लिया गया है या उनका हो और पति का इस पर कोई अधिकार नहीं है तो भी बहू को बाहर नहीं किया जा सकता.
यह भी पढ़ें: बलिया गोलीकांड: बड़ा सवाल! पुलिस की पकड़ से कैसे फरार हो गया आरोपी?
तीन जजों की पीठ ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने दिल्ली के परिवार द्वारा दायर वाद पर सुनवाई करते हुए कहा कि देश में आज भी हर रोज कई महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं. इस दिशा में कड़े कदम उठाने की जरूरत है. घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रत्येक महिला को साझा घर में निवास करने का अधिकार होगा.
पीड़िता को बेदखल नहीं कर सकते
2005 के कानून (hindu succession act 2005) की स्पष्ट व्याख्या करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘अकेली महिला को जीवनकाल में कई बार हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. इसी दिशा में बना 2005 का कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है. इसमें उल्लिखित धारा 2 (एस) में दिए गए साझा घर की परिभाषा का मतलब उस घर से नहीं है जो संयुक्त परिवार का है, जिसमें पीड़िता के पति का हिस्सा है बल्कि जिसमें पति का स्वामित्व नहीं है उससे भी पीड़िता को बेदखल नहीं कर सकते.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि 2005 का कानून महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए पारित किया गया था.
VIDEO