Supreme Court: 'हाईकोर्ट के कई जज लेते हैं गैरजरूरी ब्रेक, परफॉर्मेंस ऑडिट का वक्त आ गया है'
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Supreme Court: 'हाईकोर्ट के कई जज लेते हैं गैरजरूरी ब्रेक, परफॉर्मेंस ऑडिट का वक्त आ गया है'

Supreme Court Pending Cases: जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने हाईकोर्ट्स में मुकदमों की सुनवाई पूरी होने के बाद भी लंबे समय तक फैसला सुरक्षित रखने पर चिंता जताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि जजों के परफॉर्मेंस का भी ऑडिट हो.

Supreme Court: 'हाईकोर्ट के कई जज लेते हैं गैरजरूरी ब्रेक, परफॉर्मेंस ऑडिट का वक्त आ गया है'

Supreme Court on High Court Judges: सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा के मामले में झारखंड के चार लोगों की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट्स के जजों के काम करने के तरीकों पर तल्ख टिप्पणी की.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने हाईकोर्ट्स में मुकदमों की सुनवाई पूरी होने के बाद भी लंबे समय तक फैसला सुरक्षित रखने पर चिंता जताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि जजों के परफॉर्मेंस का भी ऑडिट हो.

'कुछ जज बहुत काम करते हैं और कुछ...'

बेंच ने कहा, "कुछ जज बहुत परिश्रम करते हैं, लेकिन कुछ जज बार-बार गैरजरूरी ब्रेक लेते हैं. कभी कॉफी ब्रेक, कभी लंच ब्रेक तो कभी कोई और ब्रेक. वे लगातार लंच ब्रेक तक क्यों काम नहीं करते? हम हाईकोर्ट के जजों को लेकर कई शिकायतें सुन रहे हैं. यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे गंभीरता से देखने की जरूरत है. हम कैसा परफॉर्मेंस कर रहे हैं और हमारा न्यायिक आउटपुट क्या है, इसका मूल्यांकन जरूरी है. अब समय आ गया है कि परफॉर्मेंस-ऑडिट हो."

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले आजीवन कारावास सजा पाए झारखंड के चार अभियुक्तों ने अपनी अपील में कहा था कि वे अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. उनका आरोप था कि उनकी आपराधिक अपीलों पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बावजूद, दो से तीन वर्षों तक निर्णय सुरक्षित रखा गया है.

किस मामले में कोर्ट ने कहा ऐसा?

कोर्ट ने कहा, "ऐसे मामले यह दर्शाते हैं कि न्यायिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए अनिवार्य दिशानिर्देशों की जरूरत है, ताकि दोषियों या विचाराधीन कैदियों को ऐसा न लगे कि उन्हें न्याय मिलने की गारंटी नहीं है. इस प्रकार की याचिकाएं बार-बार दायर नहीं होनी चाहिए."

हालांकि, इस मामले में 5 मई को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इन चारों मामलों में अब निर्णय सुना दिया गया है. तीन मामलों में दोषियों की अपील स्वीकार कर ली गई, जबकि चौथे मामले में मतभेद के चलते उसे दूसरी पीठ को सौंपा गया.

हाईकोर्ट्स से मांगी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान देश के सभी हाईकोर्ट्स से जानकारी मांगी थी कि 31 जनवरी 2025 या उसके पहले के कौन-कौन से मामले हैं, जिनमें सुनवाई पूरी करने के बावजूद अब तक फैसला सुनाया नहीं गया है.

इसके बाद, 9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से यह भी जानकारी मांगी कि फैसले कब सुनाए गए और कब उन्हें कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई महीने में निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता फौजिया शकील ने अदालत में पक्ष रखा.

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