क्‍या आपको पता है कि पटाखे और आतिशबाजी का चलन कहां से आया?
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क्‍या आपको पता है कि पटाखे और आतिशबाजी का चलन कहां से आया?

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पटाखे चलाने की अनुमति देने के साथ ही इन पर बैन संबंधी मांग को खारिज कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पटाखे चलाने की अनुमति देने के साथ ही इन पर बैन संबंधी मांग को खारिज कर दिया है.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पटाखे चलाने की अनुमति देने के साथ ही इन पर बैन संबंधी मांग को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कम उत्‍सर्जन के लिए हरित पटाखों के उत्‍पादन और बिक्री की अनुमति दी. इसके साथ ही दीपावली और अन्य त्योहारों पर आतिशबाजी के लिए रात आठ बजे से रात 10 बजे तक का समय निर्धारित किया. पिछले एक साल से कोर्ट में चल रही बहस के बाद दीपावली के महज 15 दिन पहले आए इस निर्णय से आतिशबाजी प्रेमियों को राहत मिली है.

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पटाखे चलाने की अनुमति दी
  2. पटाखों और आतिशबाजी का चलन चीन से माना जाता है
  3. अलग-अलग देशों में इस संबंध में अलग कानून हैं

वैसे तीज-त्‍योहार पर पटाखे चलाने की परंपरा सदियों पुरानी है. माना जाता है कि आतिशबाजी की परंपरा चीन में नौवीं सदी में शुरू हुई थी. यह भी कहा जाता है कि धार्मिक मान्‍यताओं के मुताबिक बुरी शक्तियों को भगाने के लिए चीन में इसकी शुरुआत हुई. प्राचीन चीन की चार महान खोजों में गनपाउडर के आविष्‍कार को भी गिना जाता है. उसी के इस्‍तेमाल से पटाखे चलाने की शुरुआत हुई. चीन के परंपरागत नव वर्ष और मून फेस्टिवल के दौरान तो इनका चलन निश्चित रूप से देखने को मिलता है. दुनिया में चीन पटाखे और आतिशबाजी का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है. रंगीन आतिशबाजी का प्रयोग यूरोप में 1830 के दशक में शुरू हुआ था. आकाश में दिखने वाली आधुनिक आतिशबाजी का आविष्‍कार 20वीं की शुरुआत में हुआ था.

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पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की पृष्‍ठभूमि में यदि देखा जाए तो दुनिया के कई अन्‍य मुल्‍कों में भी इस संबंध में कई शर्तें और पाबंदियां अख्तियार की गई हैं. दरअसल इसकी वजह से होने वाले हादसों और हताहतों के कारण ही मुल्‍कों में इसकी वैधानिकता पर बहस होती रही है. इस कड़ी में दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में पटाखों के इस्‍तेमाल के संबंध में शर्तों, पाबंदियों पर आइए डालते हैं एक नजर:

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चीन
चीनी नव वर्ष के दौरान शुरुआती तीन दिनों में लोगों के बीच आतिशबाजी की प्रतिस्‍पर्द्धा का चलन है. सदियों पुरानी इस परंपरा को 1990 के दशक के बाद से चीन के कई शहरों में बैन करने की कोशिश की गई. 2004 के एक प्रकाश उत्‍सव के दौरान आतिशबाजी के बीच मची भगदड़ से 37 लोगों की मौत हो गई थी. लेकिन 2008 के बाद से चीन के अधिकांश शहरों में आतिशबाजी की अनुमति है. गांवों में कोई पाबंदी नहीं है.

कनाडा
एक्‍सप्‍लोसिव एक्‍ट के तहत पटाखों पर बैन है. इसलिए इनके आयात, भंडारण और निर्माण को गैरकानूनी माना जाता है. 27 सितंबर, 1972 को कनाडा में उस वक्‍त पटाखों पर बैन लगा दिया गया जब मीडिया रिपोर्टों में इस तरह की खबरें आईं कि इनकी वजह से दो मासूमों की जान चली गई.

ब्रिटेन
1997 में पटाखों पर रोक लगा दी गई. लेकिन आतिशबाजी(fireworks) पर पाबंदी नहीं है.

अमेरिका
अलग-अलग राज्‍यों में अलग नियम हैं. 2007 में एक दशक पुराने पटाखों पर पाबंदी संबंधी नियमों में ढील दी गई.

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