सारी मस्जिदें, दरगाहें कैसे सेफ रहेंगी? अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने बता रखा है! पूर्व जज का दावा
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सारी मस्जिदें, दरगाहें कैसे सेफ रहेंगी? अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने बता रखा है! पूर्व जज का दावा

Justice R F Nariman Lecture: सेक्युलरिज्म और भारतीय संविधान पर लेक्चर देते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, जस्टिस आर एफ नरीमन ने SC के अयोध्या जजमेंट का विस्तार से जिक्र किया.

सारी मस्जिदें, दरगाहें कैसे सेफ रहेंगी? अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने बता रखा है! पूर्व जज का दावा

Supreme Court Ayodhya Judgement: आज 6 दिसंबर है. 1992 में आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद ध्वस्त कर दी गई थी. बाबरी मस्जिद और श्रीरामजन्मभूमि का विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक गया. 2019 में पांच जजों की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. SC के पूर्व जज, जस्टिस आर एफ नरीमन ने उसी फैसले का संदर्भ लेकर उस तरह के कई मुकदमों को शुरू में ही खारिज करवाने का तरीका बताया है. 'सेक्युलरिज्म और भारतीय संविधान' पर लेक्चर देते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि 'आज हाइड्रा के सिर की तरह जगह-जगह मुकदमे हो रहे हैं, न सिर्फ मस्जिदों को लेकर, बल्कि दरगाहों को लेकर भी.'

जस्टिस नरीमन ने कहा, 'मेरे अनुसार, इसका मुकाबला करने का एकमात्र तरीका - क्योंकि यह सब सांप्रदायिक तनाव और वैमनस्य को जन्म दे सकता है, जो हमारे संविधान और पूजा स्थल अधिनियम दोनों में परिकल्पित के विपरीत है - इस सब को रोकने का एकमात्र तरीका (बाबरी) फैसले (जिसने पूजा स्थल अधिनियम को बरकरार रखा) के इन पांच पन्नों को लागू करना और प्रत्येक जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय के समक्ष इसे पढ़ना है क्योंकि ये पांच पृष्ठ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कानून की घोषणा है जो उन पर बाध्यकारी है.'

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क्या कहता है 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट'?

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज ने इससे पहले कहा, 'इस फैसले की सकारात्मक बात उपासना स्थल अधिनियम थी. अधिनियम कहता है कि हर धार्मिक उपासना स्थल 15 अगस्त 1947 को स्थिर है. अब, कोई भी व्यक्ति जो इसे बदलने की कोशिश करता है और यदि 1991 में अधिनियम के चरण में मुकदमे लंबित हैं, तो वे मुकदमे खारिज हो जाएंगे. यदि कोई मुकदमा कहता है कि चरित्र बदल दिया गया है, तो मुकदमे का निपटारा अधिनियम के अनुरूप किया जाएगा. अयोध्या को छोड़कर, जिसे अलग रखा गया था, अन्य सभी स्थान कम से कम सुरक्षित रहेंगे. हम आज देखते हैं कि पूरे देश में हाइड्रा-हेड्स की तरह, हर जगह मुकदमे के बाद मुकदमे दायर किए जा रहे हैं, न केवल मस्जिदों के संबंध में, बल्कि दरगाहों के संबंध में भी.'

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'SC ने कहा था कि हर बार हिंदू पक्ष कानून के खिलाफ गया'

जस्टिस नरीमन के अनुसार, 'कोर्ट ने जो महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाला वह यह था कि ढांचे के नीचे कोई राम मंदिर नहीं था. इस निष्कर्ष के साथ, उन्होंने 4 मुकदमों का फैसला किया... आंतरिक प्रांगण में, इस निष्कर्ष के बावजूद कि मुसलमान 1857 से 1949 तक प्रार्थना कर रहे थे, न्यायालय ने कहा कि वे यह नहीं कह सकते कि उनका विशेष कब्जा था और यह पक्ष विवादित था.'

पूर्व जज के अनुसार, अयोध्या फैसले का एक और बहुत महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह था कि हर बार, हिंदू पक्ष ने कानून के शासन के विपरीत कुछ किया है. इसके लिए, क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए. क्षतिपूर्ति क्या थी? कोई सोच सकता था कि वे मस्जिद का पुनर्निर्माण करेंगे. लेकिन यह था कि हम उन्हें मस्जिद बनाने के लिए कुछ जमीन देंगे. मेरी विनम्र राय में, यह न्याय का बहुत बड़ा मजाक था कि इन निर्णयों में धर्मनिरपेक्षता को उसका हक नहीं दिया गया.'

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