सुप्रीम कोर्ट ने पलटा NGT का आदेश, दोबारा जंतर-मंतर पर होंगे धरना प्रदर्शन!
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा NGT का आदेश, दोबारा जंतर-मंतर पर होंगे धरना प्रदर्शन!

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह आगामी 2 सप्ताह में नई गाइडलाइन जारी करें और जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन की इजाजत दें.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना और प्रदर्शन पर रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार(23 जुलाई) को अहम फैसला सुनाया. जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने जंतर-मंतर, बोट क्लब अन्य जगहों पर धरना और प्रदर्शन पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि धरना और प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक नहीं लगा सकते.

  1. NGT ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन पर लगाई थी रोक
  2. रोक लगाते वक्त NGT ने दिया था वायु प्रदूषण का हवाला 
  3. एनजीटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट पहुंचा था संगठन

2017 में एनजीटी ने लगाई थी प्रदर्शन पर रोक
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह आगामी 2 सप्ताह में नई गाइडलाइन जारी करें और जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन की इजाजत दें. दरअसल, NGT ने साल 2017 में जंतर मंतर क्षेत्र में सभी तरह के प्रदर्शन और धरनों पर रोक लगा दी थी और कहा था कि गाय संरक्षण के नाम पर गौवंश और बैलगाड़ी लाना जंतर मंतर क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए मुश्किलों का सबब बनता है. 

संगठन ने SC में दी एनजीटी के फैसले को चुनौती
बता दें कि मजदूर किसान शक्ति संगठन और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर NGT के आदेश को चुनौती दी थी और सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि साल 2017 अक्टूबर में NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है. ऐसे में लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. याचिकाकर्ता का ये भी कहना था कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है. याचिका में संगठन ने सुझाया है कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है.  

क्यों लगाई थी एनजीटी ने प्रदर्शन पर रोक
2017 में इस क्षेत्र में धरने पर रोक लगाते हुए NGT ने कहा था कि क्षेत्र प्रदर्शनकारियों द्वारा गंदगी फैलाने की स्थायी जगह बन गया है. नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और पुलिस जैसी निकाय संस्थाएं जंतर मंतर और इसके आस पास साफ सफाई रखने में नाकाम रही हैं. वे इलाके के लोगों के लिए शांतिपूर्ण और सहज जीवन सुनिश्चित करने में भी नाकाम रहे हैं और कुछ ऐसे प्रदर्शनकारी हैं जो गाय संरक्षण के नाम पर जंतर मंतर रोड पर बैलगाड़ियों के साथ गायों को लेकर आते हैं जिससे बाशिंदों के लिए समस्या बढ़ जाती है. NGT ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों द्वारा इस क्षेत्र का लगातार इस्तेमाल वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 समेत पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है. 

पूरे मामले पर एक नजर
NGT वरुण सेठ और अन्यों द्वारा दाखिल एक याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि जंतर मंतर पर सामाजिक समूहों, राजनीतिक पार्टियों, एनजीओ द्वारा किये जाने वाले आंदोलन और जुलूस क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं. NGT ने अपने आदेश में कहा था कि इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शांतिपूर्ण और आरामदायक ढंग से रहने का अधिकार है और उनके आवासों पर प्रदूषण मुक्त वातावरण होना चाहिए. NGT के आदेश के खिलाफ मजदूर किसान शक्ति संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की थी. 

Trending news