'वह माफिया-आतंकवादी तो नहीं है...', पूजा खेडकर को जमानत देकर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
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'वह माफिया-आतंकवादी तो नहीं है...', पूजा खेडकर को जमानत देकर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

Puja Khedkar: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की पूर्व ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. उन्होंने हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है. 

'वह माफिया-आतंकवादी तो नहीं है...', पूजा खेडकर को जमानत देकर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

Supreme court: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की पूर्व ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर के नाम से हर कोई परिचित होगा. उनसे जुड़ी हुई एक बड़ी खबर सामने आई है. उन्होंने हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसमें उन्हें अग्रिम जमानत मिल गई है. साथ ही उन्हें UPSC धोखाधड़ी मामले में सहयोग करने का निर्देश दिया है. पूजा खेडकर पर सिविल सेवा में धोखाधड़ी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता श्रेणी के तहत आरक्षण का गलत लाभ उठाने का आरोप लगा है. 

बेंच नहीं कही ये बात 
इससे पहले पूजा खेडकर पर सहयोग न देने का भी आरोप लगा था. जिस पर जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने पूछा कि सहयोग नहीं करने' का क्या मतलब है? उसने हत्या नहीं की है, यह एनडीपीएस (नारकोटिक्स विरोधी कानून) अपराध नहीं है. वह मादक पदार्थ माफिया या आतंकवादी नहीं है, वह सहयोग करेगी. अदालत ने जवाब दिया था कि पूजा खेडकर को जाली प्रमाण पत्र किस स्रोत से मिले, इसका खुलासा किया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें हिरासत में रखना जरूरी नहीं है. पूजा खेडकर ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

दी गई है चेतावनी
बीते दिन दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने खेडकर को रिहा करने के खिलाफ तर्क दिया और कहा कि साजिश के विवरण को उजागर करने के लिए पुलिस को हिरासत की आवश्यकता है. ऐसे में अगर दिल्ली पुलिस की जांच के तहत पूजा खेडकर को गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें 35,000 रुपये की नकद जमानत देने की शर्त पर जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. इस बीच, उन्हें गवाहों को प्रभावित करने या रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से छेड़छाड़ करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है.

लगा था ये आरोप
पूजा पर सिविल सेवा में धोखाधड़ी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता श्रेणी के तहत आरक्षण का गलत लाभ उठाने का आरोप लगा है. सितंबर की शुरुआत में केंद्र सरकार ने खेडकर को बर्खास्त कर दिया, जिन्होंने अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि उन्हें तब से निशाना बनाया जा रहा है जब से उन्होंने अपने वरिष्ठ के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था. यह यूपीएससी द्वारा उनके चयन को रद्द करने के एक महीने बाद हुआ था. उनकी मुश्किलें तब और बढ़ गई थी जब उनका स्टाफ और कार चर्चाओं में आया था.

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