कंप्यूटर-फोन की निगरानी को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट में सुनवाई मंगलवार को
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कंप्यूटर-फोन की निगरानी को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट में सुनवाई मंगलवार को

केंद्र सरकार ने पिछले साल 20 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर कंप्यूटर और फोन की निगरानी का अधिकार दस जांच एजेंसियों जैसे सीबीआइ, आईबी आदि तक सीमित कर दिया था. इस अधिसूचना को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

कंप्यूटर-फोन की निगरानी को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट में सुनवाई मंगलवार को

नई दिल्‍ली: कंप्यूटर और फोन की निगरानी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. हालांकि कोर्ट ने दस जांच एजेंसियों को निगरानी का अधिकार देने वाली अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था.

दरअसल केंद्र सरकार ने पिछले साल 20 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर कंप्यूटर और फोन की निगरानी का अधिकार दस जांच एजेंसियों जैसे सीबीआइ, आईबी आदि तक सीमित कर दिया था. इस अधिसूचना को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा था नोटिस
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से महावीर सिंह, अभिषेक सिंघवी, मुकुल रोहतगी आदि वकील पेश हुए. उन्होंने सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा था कि यह सरकार की ओर से नागरिकों की जासूसी और निगरानी है. सरकार की अधिसूचना पूरी तरह से गैरकानूनी है और इस पर तत्काल अंतरिम रोक लगनी चाहिए. कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद सभी याचिकाओं पर सरकार को नोटिस जारी करते हुए सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा था. इसके अलावा कोर्ट ने पिछले साल 20 दिसंबर की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाने की मांग पर भी नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने कहा था कि नोटिस की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अंतरिम मांग पर भी सुनवाई होगी.

बता दें कि वकील अमित साहनी सहित कई अन्य याचिकाओं में कहा है कि दस जांच एजेंसियों को कंप्यूटर और फोन की निगरानी का अधिकार देने वाली केन्द्र सरकार की अधिसूचना असंवैधानिक है, क्योंकि इसमें सभी की एक साथ निगरानी का हक दिया गया  है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सभी नागरिकों को संदेह की निगाह से नहीं देखा जा सकता. ब्लैंककेट निगरानी का हक देने वाली अधिसूचना लोकतंत्र के खिलाफ है.अधिसूचना रद करने की मांग के साथ ही आई एक्ट की धारा 69 को भी रद करने की मांग की गई है.जिसके तहत सरकार ने यह अधिसूचना जारी की है.

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