सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा- मेरे घर में भी मोबाइल फोन के सिगनल नहीं
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा- मेरे घर में भी मोबाइल फोन के सिगनल नहीं

जस्टिस मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में टेलीकॉम कंपनियों से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. इस मामले में टेलीकॉम कंपनियों पर सरकार का करोड़ों रुपये बकाया है जिसके खिलाफ टेलीकॉम कंपनियां सुप्रीम कोर्ट आई हुई हैं. 

जस्टिस अरुण मिश्रा.(फोटो साभार फेसबुक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा ने खुली अदालत में अपनी पीड़ा सुनाई. उन्होंने कहा कि उनके घर में मोबाइल पर दस कॉल आती हैं तो छह कॉल में बात ही नहीं हो पाती है और इंटरनेट तो और भी खराब है, क्योंकि मोबाइल नेटवर्क का सिग्नल काफी कमजोर रहता है. जस्टिस मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में टेलीकॉम कंपनियों से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. इस मामले में टेलीकॉम कंपनियों पर सरकार का करोड़ों रुपये बकाया है जिसके खिलाफ टेलीकॉम कंपनियां सुप्रीम कोर्ट आई हुई हैं. सुनवाई के दौरान एक टेलीकॉम कंपनी के वकील में सुप्रीमकोर्ट में दावा किया कि गली-गली में उनका नेटवर्क है, जिसपर जस्टिस अरूण मिश्रा ने मोबाइल सिग्नल की खस्ता हालत बयां की.

सुप्रीम कोर्ट में ये मामला टेलीकॉम कम्पनियों पर केंद्र सरकार की ओर से बकाया लाइसेंस फीस से जुड़ा है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि लाइसेंस फीस के रूप में टेलीकॉम कंपनियों पर 92641 करोड़ रुपये बकाया है. केवल एयरटेल पर 21682 करोड़ बकाया है. जस्टिस अरुणा मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने टेलीकॉम कंपनियों का पक्ष रख रहे वकील ने दावा किया कि उनकी हर जगह कनेक्टिविटी है तो जस्टिस अरुण मिश्रा ने उन्हें टोका. जस्टिस मिश्रा ने कहा-आप जो कह रहे हैं ऐसा नहीं है. मेरे घर पर भी  इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है. कनेक्टिविटी इस कदर खराब है कि 10 में से 6 कॉल ड्रॉप हो जाती है. ऐसी स्थिति आपकी खराब सर्विस का नतीजा है.

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