जस्टिस दीपक गुप्ता का वर्चुअल विदाई समारोह, कहा-'संविधान जजों का सबसे पवित्र ग्रंथ'
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जस्टिस दीपक गुप्ता का वर्चुअल विदाई समारोह, कहा-'संविधान जजों का सबसे पवित्र ग्रंथ'

 सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के किसी जज का विदाई समारोह वर्चुअल तरीके से हुआ.

लॉकडाउन के दौरान ही जस्टिस दीपक गुप्ता सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के किसी जज का विदाई समारोह वर्चुअल तरीके से हुआ.  कोरोना संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, एससीबीए द्वारा जस्टिस दीपक गुप्ता का वर्चुअल विदाई समारोह आयोजित किया गया.

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समारोह की अध्यक्षता की, ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते पूरा देश लॉकडाउन में है. 

हालांकि सोमवार से इसमें कुछ ढील दी गई है लेकिन अधिकांश कार्यों पर अभी पाबंदी जारी है.

इस वर्चुअल विदाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समारोह की अध्यक्षता की. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही वर्चुअल समारोह में शामिल हुए. 

लॉकडाउन के दौरान ही जस्टिस दीपक गुप्ता सेवानिवृत्त हो रहे हैं. जस्टिस गुप्ता इस तरह सेवानिवृत्त होने वाले सुप्रीम कोर्ट के पहले जज हैं. जस्टिस दीपक गुप्ता ने 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में जज का पदभार संभाला था. समारोह में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे, अटॉर्नी जनरल केके वेनुगोपाल ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वकीलों को संबोधित किया.

इस मौके पर जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि जब एक जज अदालत में बैठता है, तो हम अपनी धार्मिक आस्था को भूल जाते हैं और मामलों का निर्णय सिर्फ संविधान के आधार पर देते हैं. संविधान हमारे लिए बाइबल, कुरान, गीता, गुरु ग्रंथ साहिब और जितने भी धार्मिक ग्रंथ हैं, सबकुछ है. मैंने देखा है कि वकील राजनीतिक और सैद्धांतिक पहलुओं को देखकर बहस करते हैं, जबकि उन्हें अपने क्लाइंट को लेकर बहस सिर्फ कानून के आधार पर करनी चाहिए. 

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