Arnab Goswami को मिली जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त के साथ दी बेल
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Arnab Goswami को मिली जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त के साथ दी बेल

सुप्रीम कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक आत्महत्या मामले में रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को जमानत दे दी है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक आत्महत्या मामले में रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को जमानत दे दी है. कोर्ट ने 50 हजार के निजी मुचलके पर अर्नब गोस्वामी को रिहा करने का आदेश दिया. 

  1. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर की टिप्पणी
  2. स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत
  3. 5.4 करोड़ बकाया नहीं देने का है आरोप

अर्नब गोस्वामी की ओर से दिग्गज वकील हरीश साल्वे पेश हुए 
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अर्नब गोस्वामी की ओर से दिग्गज वकील हरीश साल्वे पेश हुए. साल्वे ने कहा, 'अन्वय नाइक की फर्म पिछले 7 साल से घाटे में डूबी हुई थी. संभव है कि उसने पहले अपनी मां की हत्या की और उसके बाद खुद सुसाइड कर लिया. साल्वे ने दावा किया कि अर्नब गोस्वामी ने सभी बकाये तय समय पर चुका दिए थे. साल्वे ने आरोप लगाया कि रायगढ़ पुलिस ने सुसाइड मामला दोबारा ओपन करने में सही कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया. 

महाराष्ट्र पुलिस ने दुर्भावना से कार्रवाई की: हरीश साल्वे
वकील हरीश साल्वे ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र पुलिस ने दुर्भावना के तहत अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के खिलाफ पिछले कुछ दिनों में कई मुकदमे दर्ज किए हैं. उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र पुलिस ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के निर्देश पर  अन्वय नाइक सुसाइड मामले को दोबारा खोला है. 

'अर्नब के मामले सीबीआई के सुपुर्द किए जाएं'
हरीश साल्वे ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया था. लोकल मजिस्ट्रेट को उन्हें निजी
मुचलके पर रिहा कर देना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ  मुकदमों को सीबीआई के हैंडओवर कर दिया गया. उन्होंने कहा कि यदि अर्नब गोस्वामी को जमानत दे दी जाती है तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा.  

महाराष्ट्र सरकार ने जमानत का विरोध किया
महाराष्ट्र सरकार की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अमित देसाई ने सुप्रीम कोर्ट में जिरह की. कपिल सिब्बल ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में पहले से लोअर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट को अभी आरोपी को जमानत नहीं देनी चाहिए. अमित देसाई ने भी जमानत का विरोध करते हुए कहा कि लोअर कोर्ट में इस मामले में कल फैसला आ सकता है. देसाई ने कहा कि मामले की जांच कर रही पुलिस ने इस मामले में कई सबूत हासिल किए हैं और उसे कोर्ट में पेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए. 

 

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर की टिप्पणी
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) की अंतरिम जमानत याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें किसी को टारगेट करती हैं, तो यह न्याय का उल्लंघन होगा.

स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? अगर राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है.'

क्यों जेल में हैं अर्नब गोस्वामी
अर्नब गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने केस में गिरफ्तार किया था. देर शाम अर्नब गोस्वामी की रायगढ़ जिले में अलीबाग की एक अदालत पेश किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था. अर्नब ने बांबे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 

5.4 करोड़ बकाया नहीं देने का है आरोप
सुसाइड केस में अर्बन गोस्वामी के अलावा फिरोज मोहम्मद शेख और नितेश सारदा भी आरोपी हैं, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अर्नब गोस्वामी, फिरोज शेख और नितेश सारदा द्वारा कथित रूप से बकाया राशि न देने पर 53 वर्षीय एक इंटीरियर डिजाइनर और उसकी मां के आत्महत्या करने के मामले की सीआईडी द्वारा पुनः जांच करने के आदेश दिए गए थे. कथित तौर पर अन्वय नाइक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट में कहा गया था कि आरोपियों ने उनके 5.4 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया था, इसलिए उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा.

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