Elderly Couple Of Old Age Home: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक बुजुर्ग दंपति को लखनऊ स्थित वृद्धाश्रम से निकालने का आदेश देते हुए कहा कि वे वहां दूसरे लोगों को परेशान कर रहे हैं. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम (Justice V Ramasubramaniam) की पीठ ने कहा कि वृद्धाश्रम में रहने वाले लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे न्यूनतम स्तर का अनुशासन और अच्छा व्यवहार बनाए रखें और अपने अन्य बुजुर्ग साथियों को परेशान न करें. 


लाइसेंस समाप्त करने के लिए स्वतंत्र


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शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने कहा कि वृद्धाश्रम का प्रशासन रहने का लाइसेंस समाप्त करने के लिए स्वतंत्र है और अगर कोई अन्य साथियों की शांति भंग करता है तो उसे अलॉटेड कमरा खाली करने को कहा जाए. यह आदेश (Order) समर्पण वरिष्ठ जन परिसर की अपील पर आया. 


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एक आदेश को दी गई थी चुनौती


इसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें वृद्धाश्रम से कहा गया था कि वह संबंधित बुजुर्ग दंपति को बाहर न निकाले. शीर्ष अदालत ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला उचित नहीं है, हालांकि अपीलकर्ता प्रतिवादी वैकल्पिक वृद्धाश्रम की व्यवस्था करेगा जैसा कि समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) द्वारा किया जाता है. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को एक वालिंटियर की प्रतिनियुक्ति करने का भी निर्देश दिया, जो वृद्धाश्रम का यथासंभव अंतराल पर दौरा करे. 


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वृद्धाश्रम का दौरा करने का निर्देश


इसने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (Uttar Pradesh State Legal Services Authority) के सदस्य सचिव को महीने में शुरू में कम से कम एक बार वृद्धाश्रम का दौरा करने का निर्देश दिया, ताकि वहां रह रहे लोगों को हो रही कठिनाइयों का पता लग सके और उनका समाधान (Solution) किया जा सके.


(इनपुट - भाषा)


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