हाइ कोर्ट के आदेश पर दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, ये रही वजह
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हाइ कोर्ट के आदेश पर दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, ये रही वजह

दरअसल, जिन छात्रों के पास ऑनलाइन क्लास नहीं ले रहे हैं, ऐसे छात्रों की ट्यूशन फीस उत्तराखंड कोर्ट ने माफ कर दी थी जिसे बाद में निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश पर दखल देने से इनकार कर दिया जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सभी निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को उन अभिभावकों से ट्यूशन फीस मांगने से रोक दिया था जो अपने बच्‍चों को ऑनलाइन क्लास दिलाने में असमर्थ थे. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि "यह केवल उन छात्रों पर है, जो निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा प्रदान किए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का उपयोग करने में सक्षम हैं, उन्हें ट्यूशन फीस का भुगतान करने की आवश्यकता होगी, अगर वे ऐसा करना चाहते हैं."

हाईकोर्ट ने अपना आदेश 2 मई के राज्य सरकार के आदेश के अनुरूप पारित किया था, जिसमें निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा कोई भी फीस लेने से रोक दिया गया था और ट्यूशन फीस के भुगतान को स्वैच्छिक बना दिया गया था. जिसके बाद निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के आदेश को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने मामले को राज्य सरकार पर छोड़ दिया था और बाद में सरकार ने एक आदेश जारी किया.

निजी स्कूलों ने तर्क दिया कि जब तक स्कूल ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, तब तक उन्हें छात्रों से फीस वसूलने का अधिकार है. स्कूलों ने कहा कि ऑनलाइन क्लास में 100% उपस्थिति है लेकिन फीस 10% से भी कम है. इसके अलावा स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था में शामिल आकस्मिक खर्चों का उल्लेख किया. इससे पहले 28 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था जिसमें लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को अभिभावकों से ट्यूशन फीस की मांग करने से रोक दिया गया था.

दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि "यह केवल उन छात्रों के लिए है जो कि निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा पेश किए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रम का उपयोग करने में सक्षम हैं, उन्हें ट्यूशन फीस का भुगतान करना होगा, यदि वे ऐसा करने के लिए चुनते हैं. जिन छात्रों के पास ऑनलाइन पाठ्यक्रम तक पहुंच नहीं है, उन्हें ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जा सकता है.

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